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यूहन्ना रचित सुसमाचार – ज्योती अंध्कार में चमकती है।
पवित्र शास्त्र में लिखे हुए यूहन्ना के सुसमाचार पर आधारित पाठ्यक्रम
चौथा भाग - ज्योति अन्धकार पर विजय पाती है (यूहन्ना 18:1 - 21:25)
ब - मसीह का पुनरुत्थान और दर्शन देना (यूहन्ना 20:1 - 21:25)
5. यीशु झील के किनारे पर प्रगट होते हैं (यूहन्ना 21:1-25)

अ) मछलियों का आश्चर्यजनक पकड़ा जाना (यूहन्ना 21:1-14)


यूहन्ना 21:7-8
7 तब उस चेले ने जिस से यीशु प्रेम रखता था, पतरस से कहा, ‘यह तो प्रभु है !’ शमौन पतरस ने यह सुनकर कि वह प्रभु है, कमर में अंगरखा कस लिया, क्योंकि वह नंगा था, और झील में कूद पड़ा | 8 परन्तु दूसरे चेले डोंगी पर मछलियों से भरा हुआ जाल खींचते हुए आये, क्योंकि वे किनारे से अधिक दूर नहीं, पर कोई दो सौ हाथ पर थे |”

प्रचारक यूहन्ना ने जान लिया कि यह अधिक मात्रा में मछलियों का शिकार कोई अप्रत्याशील घट्ना नहीं है | वह नाव में थे और जान गये कि किनारे पर खड़ा व्यक्ति स्वय: यीशु के सिवाय और कोई नहीं है | यूहन्ना ने यीशु का नाम न लिया परन्तु सम्मान पूर्वक कहा, “वह प्रभु है |”

जब पतरस को याद आया कि यीशु मछलियों के शिकार के द्वारा यह दूसरा अत्यन्त महत्वपूर्ण पाठ सिखा रहे हैं तो वे चौकन्ने हो गये | उन्हों ने अपने कपड़े उठा कर पहन लिये क्योंकि वे अपने प्रभु के पास नंगे शरीर के साथ न जाना चाहते थे | वह पानी में कूद पड़े और प्रभु की ओर तैरते हुए गये | इस तरह उन्हों ने नाव, अपने मित्रों और ताजा मछलियों को अकेला छोड़ दिया | वह सब कुछ भूल गये क्योंकि उन का दिल केवल यीशु की ओर लगा हुआ था |

यूहन्ना नाव में ही रहे यधपि उन का प्रेम वैसे ही निष्ठावान था जैसे पतरस का था | इस तरह इस युवा ने अपने साथिओं के साथ नाव को बड़े परिश्रम से खेते हुए किनारे तक का सौ मीटर का अन्तर पार किया | अन्त में वह किनारे पर पहुँच गये और मछलियों की उस बड़ी संख्या का प्रबंध करने लगे |

यूहन्ना 21:9-11
“9 जब वे किनारे पर उतरे, तो उन्हों ने कोयले की आग और उस पर मछली रखी हुई, और रोटी देखी | 10 यीशु ने उन से कहा, ‘ जो मछलियाँ अभी तुम ने पकड़ी हैं, उन में से कुछ लाओ |’ 11 तो शमौन पतरस ने डोंगी पर एक सौ तिरपन बड़ी मछलियों से भरा हुआ जाल किनारे पर खींचा, और इतनी मछलियाँ होने पर भी जाल न फटा |

जब चेले तट पर पहुँचे तो उन्हों ने कोयले की आग पर मछली रखी हुई देखी | यह आग, मछली और रोटी कहाँ से आई ? यीशु ने उन्हें सौ मीटर के अन्तर पर से पुकारा क्योंकि उन के पास खाने को कुछ न था | वहाँ पहुँचने पर उन्होंने मछली को भूना हुआ पाया और आप ने उन से खाने का आग्रह किया | आप एक ही समय में प्रभु और मेजबान भी हैं | आप ने दयापूर्वक उन्हें खाना पकाने में साझेदार बना लिया | आप हमें भी अपने काम और फल प्राप्त करने में सहभागी कर लेते हैं | अगर चेलों ने आप की आज्ञा का पालन न किया होता तो वे कुछ न पकड़ पाते | परन्तु यहाँ आप उन्हें खाने का नेवता देते हैं | आश्चर्य इस बात का है कि जिस प्रभु को दुनियावी खाने की आव्यशकता नहीं होती वही प्रभु स्वय: झुक कर वह खाना उन के साथ बाँट लेते हैं ताकि वे आप के प्रेम को महसूस करें |

पुरानी रीति के अनुसार मछलियों की संख्या, 153 यह बताती है कि उन दिनों में उतने प्रकार की मछलियाँ जानी जाती थीं | यह ऐसे हुआ जैसे यीशु यह कह रहे हों, “केवल एक ही प्रकार के मनुष्य को अपने जाल में न पकड़ो बल्कि अलग अलग राष्ट्रों के लोगों को चुन कर ले आओ |” सब लोगों को परमेश्वर के जीवन में प्रवेश करने का नेवता दिया गया है | जिस तरह जाल भारी बोझ से फट न गया उसी तरह कलीसिया भी टूट न जायेगी या पवित्र आत्मा की एकता को न खोयेगी यधपि उस के कुछ सदस्य स्वार्थी और प्रेमहीन हों | असली कलीसिया मसीह की अपनी और ज़रुरी होगी |

यूहन्ना 21:12-14
“12 यीशु ने उन से कहा, ‘आओ, भोजन करो |’ चेलों में से किसो को साहस न हुआ कि उससे पूछे, ‘तू कौन है ?’ क्योंकि वे जानते थे कि यह प्रभु ही है | 13 यीशु आया और रोटी ले कर उन्हें दी, और वैसे ही मछली भी | 14 यह तीसरी बार है कि यीशु मरे हुओं में से जी उठने के बाद चेलों को दिखाई दिया |

यीशु ने अपने चेलों को अपने प्रेम की आग के चारों ओर इकठ्ठा किया | उन में से कोई एक व्यक्ति भी कुछ बोल न पाया क्योंकि सभी जानते थे कि यह अजनबी व्यक्ति स्वय: प्रभु थे | वे आप से अलिंगन करने के लिये उत्सुक थे लेकिन भय और प्रभाव के कारण वे ऐसा कर न सके | यीशु ने मौन को तोडा और जैसे आप खाना बाँट रहे थे वैसे उन्हें आशीष भी देते गये | इस तरह से आप ने उन्हें क्षमा किया और उन का नवीकरण किया | सभी चेले हर समय अपने प्रभु की क्षमा में जीते हैं | अगर आप उस अनुबंध का निष्ठा से पालन न करते तो वे नाश हो जाते | उन का विश्वास करना और आशा रखना बहुत धीमा होता है | आप ने उन्हें ड़ाँटा नहीं बल्कि अपने आश्चर्यजनक पोषण से उन्हें शक्तिशाली बना दिया | फिर भी तुम्हारे पाप और दिल की धीमी गती के बावाजुस्द यीशु और परमेश्वर चाहते हैं कि तुम सुसमाचार का प्रचार करो | अपने पुनरुत्थान के बाद यीशु ने भी आश्चर्यकर्म दिखाने में यही प्रथा निभाई |


ब) पतरस की समूह की सेवा के लिये नियुक्ति (यूहन्ना 21:15-19)


यूहन्ना 21:15
“15 भोजन करने के बाद यीशु ने शमौन पतरस से कहा, ‘हे शमौन, यूहन्ना के पुत्र, क्या तू इन सब से बढ़ कर मुझ से प्रेम रखता है ?’ उस ने उससे कहा, ‘हाँ, प्रभु; तू तो जानता है कि मैं तुझ से प्रीति रखता हूँ |’ उस ने उससे कहा, ‘मेरे मेमनों को चरा |’”

अपने पहले ही दर्शन में, अपने शान्ति के वचन द्वारा यीशु ने अपने चेलों के पाप, पतरस के इन्कार के साथ, क्षमा कर दिये थे | परन्तु पतरस के इन्कार के लिये विशेष उपचार की आव्यशकता थी | प्रभु के वचन में आप की दया दिखाई देती है क्योंकि आप दिलों को परखते हैं | आप ने इनकार के विषय में एक शब्द भी न कहा ताकि पतरस को आत्मनिरीक्षण और आत्मज्ञान का अवसर मिले | आप ने पतरस को उन के असली नाम से पुकारा : “शमौन, यूहन्ना के पुत्र,” क्योंकि वे अपने पुराने आचरण पर आ गये थे |

इसी तरह यीशु आज आप से भी पूछते हैं, “क्या तुम मुझ से प्रेम रखते हो ? क्या तुम ने मेरे वचन का पालन किया है और मेरे वायदों पर विश्वास किया है ? क्या तुम मेरे तत्व को जान कर मेरे निकट आ चुके हो ? क्या तुम मेरे समूह में शामिल हो चुके हो और अपनी संपति, समय और शक्ति मेरे कारण त्याग चुके हो ? क्या मैं हमेशा तुम्हारे विचारों में रहा करता हूँ और तुम मेरे साथ एक हो चुके हो ? क्या तुम अपने जीवन से मेरा सम्मान करते हो ?”

यीशु ने पतरस से पूछा: “क्या तू मुझ से इन सब से अधिक प्रेम करता है ?” पतरस ने यह उत्तर न दिया, “नहीं, प्रभु, मैं इन सब से बेहतर नहीं हूँ; मैं ने आप का इन्कार किया है |” पतरस में अब भी आत्मविश्वास था और उन्होंने हाँ कहा परन्तु अपने प्रेम को पवित्र आत्मा और पक्के विश्वास के द्वारा मिलने वाला दिव्य प्रेम जताने की बजाय अपने प्रेम को सहानुभूती के लिये यूनानी शब्द का प्रयोग करके मर्यादित कर दिया |

पतरस को उन के कमज़ोर प्रेम के लिये ड़ाँटा न गया बल्कि प्रभु ने उन्हें अपने अनुयायियों की सेवा करके अपने प्रेम की पुष्टि करने के लिये कहा | यीशु ने फिर एक बार इस विचलित चेले को उन विश्वासियों की सेवा करने के लिये कहा जो अभी अभी विश्वास लाये थे | परमेश्वर के मेमने ने स्वय: अपने मेमनों को ख़रीदा है | क्या तुम ऐसे समूह की सेवा करने के लिये, उन के साथ धैर्य धरने, सौम्यता से उनका मार्गदर्शन करने और उन की उन्नति होने तक प्रतीक्षा करने के लिये तैयार हो ? या तुम उन से उन की सहन करने की शक्ति से अधिक अपेक्षा रखते हो ? या तुम ने उन्हें त्याग दिया है ताकि वे समूह से बिछड़ जायें और चीर फाड दिये जायें ? यीशु ने पतरस को सब से पहले उन लोगों की देखभाल करने को कहा जो अभी अभी विश्वास कर चुके थे |

यूहन्ना 21:16
“16 उस ने फिर दूसरी बार उससे कहा, ‘हे शमौन, यूहन्ना के पुत्र. क्या तू मुझ से प्रेम रखता है ?’ उसने उससे कहा, ‘हाँ, प्रभु; तू जानता है कि मैं तुझ से प्रीति रखता हूँ |’ उसने उससे कहा, ‘मेरी भेड़ों की रखवाली कर |’”

यीशु ने पतरस को सौम्यता से क्षमा नहीं किया जैसे की यह कह दिया हो: “जब तुम ने कहा कि ‘मैं आप से प्रेम रखता हूँ तब कहीं जल्दबाजी में तो उत्तर न दिया था ? क्या तुम्हारा प्रेम मानवी और बुरा नहीं है ? क्या तुम्हारा प्रेम भावपूर्ण या वह निष्ठावान शुभचिंतन पर आधारित है ?”

इस प्रश्न से पतरस के दिल को बुरा लगा और उन्हों ने विनम्रता से उत्तर दिया, “प्रभु, आप सब कुछ जानते हैं, आप मेरी बुराईयां और योग्यतायें जानते हैं | मेरा प्रेम आप से छिपा हुआ नहीं है | मैं निश्चय ही आप से प्रेम करता हूँ और अपना जीवन आप के लिये अर्पण करने के लिये तैयार हूँ | मैं असफल रहा और फिर असफल रहूँगा | परन्तु आप के प्रेम ने मेरे अन्दर अनन्त प्रेम की आग लगा दी है |

यीशु ने पतरस के दावे से इनकार न किया परन्तु कहा, “जैसे तुम मुझ से प्रेम रखते हो, उसी तरह मेरी कलीसिया के प्रोढ सदस्यों से भी प्रेम रखो | उन की चरवाहे समान सेवा आसान नहीं है | उन में से अधिकतर सदस्य ज़िद्दी, धर्मद्रोही और प्रत्येक व्यक्ति अपने अपने मार्ग पर चलता है | क्या तुम मेरी भेड़ों को अपने कन्धों पर उठाना चाहोगे, अगर थक भी जाओ तो तुम उन के लिये जिम्मेदार हो |”

यूहन्ना 21:17
“17 उसने तीसरी बार उससे कहा, ‘हे शमौन, यूहन्ना के पुत्र, क्या तू मुझ से प्रीति रखता है ?’ पतरस उदास हुआ कि उसने उससे तीसरी बार ऐसा कहा, ‘क्या तू मुझ से प्रीति रखता है ?’ और उससे कहा, ‘हे प्रभु, तू तो सब कुछ जानता है; तू यह जानता है कि मैं तुझ से प्रीति रखता हूँ |’ यीशु ने उससे कहा, ‘मेरी भेड़ों को चरा |’”

पतरस ने तीन बार अपने प्रभु का इन्कार किया था इस लिये यीशु ने उन के दिल का दरवाज़ा खटखटाया और इस तरह उन के प्रेम के खरेपन को परखा | आप ने पवित्र आत्मा द्वारा आने वाले दिव्य प्रेम की आव्यशकता पर ज़ोर दिया जिसे पतरस स्वय: अपने आप में महसूस करने वाले थे | उन्हों ने वह प्रेम उस समय तक प्राप्त न किया था जब तक कि पवित्र आत्मा पिन्तेकुस्त के दिन तक उन पर न उतरा था | आप यह पूछते रहे: “क्या तुम निश्चय ही किसी मानवी रिश्ते से बढ़ कर मुझ से बंधे हुए हो, यहाँ तक की तुम अपना जीवन दुनिया के उद्धार के लिये दे दो ? तीसरी बार पतरस ने अत्यन्त दु:ख और लज्जा के साथ उत्तर दिया और कहा कि प्रभु उन के दिल के भेद भी जानते हैं |

पतरस ने स्विकार किया कि यीशु ने समय से पहले उन के तीन बार इन्कार करने कि भविष्यवाणी की थी वह सत्य थी और यह कि मसीह सब कुछ जानते थे | इसलिये पतरस ने आप को सत्य परमेश्वर कहा; जो मनुष्य के अन्त:करण की हर बात जानता है | यह याजकीय सेवा है जो पतरस को सौंपी गई यानी भेड़ों कि देखभाल करना |

क्या तुम पादरी हो जो परमेश्वर के समूह की निगेहबानी करते हो ? क्या तुम भेड़ियों और दुष्ट आत्माओं को नजदीक आते हुए देखते हो ? याद रखो, हम सब पापी हैं और क्रूस की विशेषता के बिना परमेश्वर के लोगों के झुंड की निगेहबानी करने का सम्मान पाने के योग्य नहीं हैं | इस में संदेह नहीं कि चरवाहों को हर दिन भेड़ों से अधिक क्षमा की आव्यशकता होती है क्योंकि वे बारंबार अपनी विशेष ज़िम्मेदारी की उपेक्षा करते हैं |

प्रार्थना: ऐ प्रभु यीशु मसीह, आप महान चरवाहे हैं | आप ने मुझे चरवाहा बनने के लिये बुलाया, जिस सेवा के मैं योग्य न था | मैं आप का अनुयायी हूँ परन्तु लड़खड़ा ता हूँ | आप ने अपनी प्रिय भेड़ों की ज़िम्मेदारी मुझे सौंप दी है | और मैं उन्हें आप के अधीन करता हूँ और विनती करता हूँ कि उन की देखभाल कीजिये और उन्हें अनन्त जीवन प्रदान कीजिये और उन्हें संभालिये ताकि कोई उन्हें खींच न ले | उन्हें अभिषिक्त कीजिये और हमें धैर्य, विनम्रता, विश्वास, आस्था और आशा प्रदान कीजिये ताकि आप के प्रेम में बने रहें | आप मुझे त्याग न दें बल्कि मुझ से बहुत प्रेम कीजिये |

प्रश्न:

131. यीशु और पतरस के बीच जो वार्तालाप हुई उससे तुम किस प्रकार प्रभावित हुए ?

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