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यूहन्ना रचित सुसमाचार – ज्योती अंध्कार में चमकती है।
पवित्र शास्त्र में लिखे हुए यूहन्ना के सुसमाचार पर आधारित पाठ्यक्रम
चौथा भाग - ज्योति अन्धकार पर विजय पाती है (यूहन्ना 18:1 - 21:25)
ब - मसीह का पुनरुत्थान और दर्शन देना (यूहन्ना 20:1 - 21:25)

3. थोमा की उपस्थिति में यीशु का चेलों पर प्रगट होना (यूहन्ना 20:24-29)


यूहन्ना 20:24-25
“ 24 परन्तु बारहों में से एक, अर्थात थोमा जो दिदुमुस कहलाता है, जब यीशु आया तब उन के साथ न था | 25 जब अन्य चेले उस से कहने लगे,‘हम ने प्रभु को देखा है,’ तब उस ने उन से कहा, ‘ जब तक मैं उसके हाथों में कीलों के छेद न देख लूँ, और कीलों के छेड़ में अपनी उंगली न डाल लूँ, और उस के पंजर में अपना हाथ न डाल लूँ, तब तक मैं विश्वास नहीं करूँगा |’”

यह न सोचो कि हर समालोचक पवित्र आत्मा का विरोध करता है; और न ही हर वह व्यक्ति जो तुम्हारी गवाही को ठुकराता है वह ज़िद्दी है या नष्ट होगा | यहाँ यूहन्ना यह बताते हैं कि मसीह के आस्मान पर उठाये जाने से पहले के चालीस दिनों में घटी हुई अनेक घटनाओं मे एक घट्ना असाधारण थी | इस से यह स्पष्ट होता है कि अनुग्रह किस प्रकार मनुष्य के सीने में विश्वास निर्माण करता है, किसी काम, बुद्धि या तर्कशास्त्र से नहीं परन्तु केवल अनुग्रह और दया के कारण निर्माण होता है |

थोमा निराशावादी था जो घटनाओं के केवल अंधकारपूर्ण पहलु को देखता था | उसे मामले की गहराई तक छान बीन करनी थी ताकि वह सत्य जान पाता (यूहन्ना 11:16; 14:5) | वह सोच विचार करने वाला व्यक्ति था जो अपने मनोवृत्ति से मामले सुलझाता था | उसे मसीह की मृत्यु में जीवन का उद्देश ही खोया हुआ दिखाई दिया | वह चेलों के समूह से अलग हो चुका था और यीशु को उस पहले रविवार को न देख पाया था जब यीशु अपने अनुयायियों के बीच में प्रगट हुए थे |

थोमा ने सोचा होगा कि यीशु का प्रगट होना शैतानी भ्रम हो सकता है – मानो किसी दुष्ट आत्मा ने मसीह का रूप धारण करके चेलों को पथभ्रष्ट करने का प्रयत्न किया हो | इस लिये इस में कोई आश्चर्य की बात न थी जो उस ने जो कुछ हुआ उस का छलहीन प्रमाण जानने का आग्रह किया कि यीशु निश्चित व्यक्तिगत रूप में उपस्थित हुए थे | उसे उस समय तक विश्वास न आता जब तक कि वह कीलों के छेद में अपनी उंगली डाल कर न देखता | इस तरह से उस ने विश्वास करने के लिये परमेश्वर के साथ सौदा किया और विश्वास करने से पहले देखना चाहता था |

इस लिये वह चेलों के समूह में लौट आया जो मसीह के उन के बीच में प्रगट होने से प्रसन्न हो गये थे | परन्तु वह उदास था और कह रहा था कि वह निश्चित रूप से जानना चाहता था कि यीशु जी उठे हैं |

यूहन्ना 20:26-28
“26 आठ दिन के बाद उस के चेले फिर घर के भीतर थे, और थोमा उन के साथ था; और द्वार बन्द थे, तब यीशु आया और उन के बीच में खड़े हो कर कहा, ‘तुम्हें शान्ति मिले |’ 27 तब उस ने थोमा से कहा, ‘अपनी उंगली यहाँ लाकर मेरे हाथों में देख और अपना हाथ लाकर मेरे पंजर में डाल, और अविश्वासी नहीं परन्तु विश्वासी हो |’ 28 यह सुन थोमा ने उत्तर दिया, ‘हे मेरे प्रभु, हे मेरे परमेश्वर |’ 29 यीशु ने उस से कहा, ‘तू ने मुझे देखा है, क्या इसलिये विश्वास किया है ? धन्य वे हैं जिन्हों ने बिना देखे विश्वास किया |’”

एक सप्ताह के बाद यीशु अपने चेलों पर फिर से प्रगट हुए | वह अब भी डरे हुए थे और दरवाजों पर ताले लगे हुए थे | मृतकों में से जी उठा हुआ मसीह का शरीर बगैर किसी शोर के दरवाजे के अन्दर प्रवेश कर गया | आप ने उन्हें अपनी शान्ति से आशीर्वाद दिया और अपने कमज़ोर चेलों को क्षमा किया |

थोमा ने आश्चर्य के साथ अपने प्रभु को खुली आँखों से देखा, और आप की आवाज़ सुनी | यीशु ने उन सब को देखा, आप की आँखें थोमा की शंका को दिव्य दृष्टि से छेड़ रही थीं | आप ने झिजकते हुए थोमा को अपने आप को छुने के लिये कहा | यह उस आदेश के विरुद्ध था जो आप ने मरियम मगदलीनी को दिया था | आप ने थोमा से कहा: “मुझे छू लो और विश्वास कर लो कि मैं असली व्यक्ति हूँ जो तुम्हारे बीच में उपस्थित है | यीशु ने उसे कीलों के छेदों को केवल देखने के लिये ही न कहा बल्कि नजदीक आकार अपनी उँगलियाँ उन छेदों में डाल कर विश्वास करने के लिये कहा |

आप ने अपने संदेहशील चेलों को अपनी सारी शंकाओं पर विजय प्राप्त करने के लिये कहा | यीशु हम से पूर्ण विश्वास की आशा करते हैं क्योंकि आप क्रूस, पुनरुत्थान, परमेश्वर के पास चले जाने और आप के दोबारा आने की घोषणा कर चुके थे जो सब हमारे लिये लाभदायक था | जो व्यक्ति इन सच्चाईयों का इन्कार करता है वह आप को झूटा ठहरता है |

प्रभु के प्रेमालू स्वभाव से थोमा लज्जित हुआ और उस ने आहिस्ता से (अपनी प्रार्थनाओं और ध्यान मनन को संक्षेप में प्रस्तुत करते हुए ) कहा : “हे मेरे प्रभु, हे मेरे परमेश्वर !” जो किसी व्यक्ति ने यीशु के सामने किया हुआ महान स्विकार था | वह जो अफ़सोस के साथ सत्य जानने का इच्छुक था, जान गया कि यीशु केवल परमेश्वर के पुत्र ही न थे जो अपने पिता से स्वावलंबी थे बल्कि स्वय: प्रभु हैं जो अपने शरीर में दिव्यता से परिपूर्ण हैं | परमेश्वर एक है, दोगुना नहीं | थोमा ने यीशु को परमेश्वर कहा और वह जानता था कि यह पवित्र परमेश्वर उस के अविश्वास के लिये उस का न्याय न करेगा बल्कि अपने अनुग्रह के द्वारा स्वय: प्रभु के दर्शन पाने का श्रय प्रदान किया | थोमा ने आप को प्रभु भी कहा, और अपना पिछला और भविष्य का सब कुछ अपने उद्धारकर्ता के हाथों में सौंप दिया और आप ने अपने बिदाई संदेश में जो कुछ कहा था उस पर पूर्ण विश्वास किया | ऐ भाई, तुम क्या कहते हो ? क्या तुम थोमा की स्विकृति से सहमत हो ? क्या मृतकों में से जी उठे हुए प्रभु तुम्हारे पास आये हैं जिस के कारण तुम आप की भव्यता से प्रभावित हो कर अपनी शंकाओं और हट पर विजय पा चुके हो ? अपने आप को आप की दया पर छोड़ दो और आप के सामने स्विकार कर लो कि आप तुम्हारे प्रभु और तुम्हारे परमेश्वर हैं |

प्रार्थना: ऐ प्रभु यीशु मसीह, हम आप का धन्यवाद करते हैं क्योंकि आप ने शंका करने वाले थोमा को अस्विकार न किया बल्कि अपने आप को उस पर प्रगट किया | हमारे जीवन को अपना समझ कर स्विकार कर लीजिये और हमारी जीभ को हर प्रकार के झूठ और धोके से पवित्र कीजिये |

प्रश्न:

127. थोमा की स्वीकृती का क्या अर्थ है ?

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