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यूहन्ना रचित सुसमाचार – ज्योती अंध्कार में चमकती है।
पवित्र शास्त्र में लिखे हुए यूहन्ना के सुसमाचार पर आधारित पाठ्यक्रम
चौथा भाग - ज्योति अन्धकार पर विजय पाती है (यूहन्ना 18:1 - 21:25)
अ - गिरिफ्तारी से गाड़े जाने तक की घटनायें (यूहन्ना 18:1 - 19:42)

2. यीशु की हन्ना के सामने पेशी और पतरस का तीन बार इनकार करना (यूहन्ना 18:15-21)


यूहन्ना 18:12-14
“12 तब सैनिकों और उनके सूबेदार और यहूदियों के प्यादों ने यीशु को पकड़ कर बाँध लिया, 13 और पहले उसे हन्ना के पास ले गए, क्योंकि वह उस वर्ष के महायाजक काइफा का ससुर था | 14 यह वही काइफा था, जिसने यहूदियों को सलाह दी थी कि हमारे लोगों के लिये एक पुरुष का मरना अच्छा है |”

यीशु को केवल यहूदियों ने ही गिरिफ्तार नहीं किया क्योंकि उन के साथ एक रोमी अधिकारी भी था जो सिपाहियों के साथ इसी कारण आया था | मसीह जो मृत्यु और दुष्ट आत्माओं पर राज करते हैं, जिन्हों ने तूफान को शांत किया, बीमारों को चंगा किया, पाप क्षमा किये, उन्हों ने अत्यंत विनम्रता से इन जंजीरों को सहन किया | जो व्यक्ति स्वतंत्र था, अब बंदी बन गया | प्रभु ज़ंजीरों में जकड़े गये और बेड़ीबंद हो गये | यह स्वय: हम ने अपने भयानक पापों के कारण किया | आप की ज़ंजीरें क्रूस पर अत्यंत निचले दरजे के होने वाले अपमान की ओर उठाये हुए कदम को दिखाती है |

मसीह से पहले 6 ता 15 साल तक हन्ना महायाजक था | नियम के अनुसार वह जीवन भर भर इस पद पर नियुक्त रहता, परन्तु रोमियों ने उसे इस पद पर से हटाया था और उस की जगह कायफा को नियुक्त किया था जो उस का दामाद था और जिसे यीशु ने किसी समय लोमड़ी कहा था परन्तु अब वह कुटिल व्यवस्था का तज्ञ था | वह व्यवस्था की मांगें और साथ ही साथ रोमी शासन की आव्यश्क्तायें भी पूरी करता था | वह एक बदनाम, बेईमान और छलपूर्ण व्यक्ति और शैतान का भविष्यवक्ता था जिस ने यीशु के मृत्यु के विषय में झूटी भविष्यवाणी की ताकि राष्ट्र बच जाये | उस समय न्यायालय की जो सुनवाई हुई वह एक दु:खांत नाटक था जिस में नाटकीय रूप में अपराधी को सजा देने के लिये असत्यतापूर्ण आरोप के साथ पेश किया गया ताकि ऐसे दिखाई दे कि न्याय किया गया | न्यायालय की उस करवाई में जिन लोगों के अन्तकरण को ठेस लगी उन्हें यह कल्पना दी गई कि सुनवाई निष्पक्ष थी और स्पष्ट गवाही पर आधारित थी | यूहन्ना उन घटनाओं का वर्णन नहीं करते जो इन दो न्यायालयों की सुनवाई में पेश आयीं जिन का उल्लेख दूसरे सुसमाचारों में किया गया है परन्तु वह उस परीक्षण और पूछ ताछ को महत्व देते हैं जो याजकों के कबीले के अध्यक्ष, हन्ना के सामने पेशी से पहले पेश आई | हन्ना अब भी देश की प्रगति में निर्देशन करता था | काइफा ने आज्ञा दी कि प्रारंभिक पूछ ताछ हन्ना के न्यायालय में हो ताकि उसे सम्मान मिले |

यूहन्ना 18:15-18
“ 15 शमौन पतरस और एक अन्य चेला भी यीशु के पीछे हो लिए | यह चेला महायाजक का जाना-पहचाना था, इसलिये वह यीशु के साथ महायाजक के आँगन में गया, 16 परन्तु पतरस बाहर द्वार पर खड़ा रहा | तब वह दूसरा चेला जो महायाजक का जाना-पहचाना था, बाहर निकला और द्वारपालिन से कह कर पतरस को भीतर ले आया | 17 उस दासी ने जो द्वारपालिन थी, पतरस से कहा, कहीं तू भी इस मनुष्य के चेलों में से तो नहीं है ?’ उस ने कहा, ‘मैं नहीं हूँ |’ 18 दास और प्यादे जाड़े के कारण कोयले ध्धकाकर खड़े आग ताप रहे थे, और पतरस भी उनके साथ खड़ा आग ताप रहा था |”

यूहन्ना और पतरस रात के समय यीशु के पीछे पीछे चल पड़े | वह आप से कुछ दूर थे | क्योंकि यूहन्ना महायाजक के रिश्तेदार थे इसलिये वह बिना किसी रुकावट के याजकों के आँगन में प्रवेश कर सके | पतरस ऐसा न कर सके क्योंकि फाटक पर पहरा देने के लिये सिपाही खड़े थे |

यूहन्ना ने, जो फाटक के निकट अँधेरे में खड़े थे, पतरस के दिल की घबराहट को महसूस किया | उन की सहायता करने के इरादे से यूहन्ना ने उन के लिये उस महिला से विनती की जो दरवाज़े पर रखवाली कर रही थी | वह पूरी तरह से सन्तुष्ट न हुई थी इस लिये उस ने पतरस से पूछा, “क्या तू उस व्यक्ति के चेलों में से एक नहीं है ?” पतरस ने उत्तर दिया, “मैं नहीं हूँ,” और उन्हों ने ऐसा व्यवहार किया जैसे वह कुछ भी नहीं जानते और इस मामले में उन का कोई भाग नहीं है | उस के बाद उन्हों ने वहाँ सुलगती हुई आग के पास अपने आप को गर्मी पहुँचाने की कोशिश की क्योंकि ठंड बहुत थी |

यूहन्ना 18:19-24
“ 19 तब महायाजक ने यीशु से उस के चेलों के विषय में और उसके उपदेश के विषय में पूछ ताछ की | 20 यीशु ने उसको उत्तर दिया, ‘मैं ने संसार से खुल कर बातें कीं; मैं ने आराधनालयों और मन्दिर में, जहाँ सब यहूदी इकठ्ठे हुआ करते हैं, सदा उपदेश किया और गुप्त में कुछ भी नहीं कहा | 21 तू मुझ से क्यों पूछता है ? सुननेवालों से पूछ कि मैं ने उनसे क्या कहा | देख वे जानते हैं कि मैं ने क्या क्या कहा |’ 22 जब उस ने यह कहा, तो प्यादों में से एक ने जो पास खड़ा था, यीशु को थप्पड़ मार कर कहा, ‘क्या तू महायाजक को इस प्रकार उत्तर देता है ? 23 यीशु ने उसे उत्तर दिया, ‘यदि मैं ने बुरा कहा, तो उस बुराई की गवाही दे; परन्तु यदि भला कहा, तो मुझे क्यों मारता है ?’ 24 हन्ना ने उसे बन्धे हुए काइफा महायाजक के पास भेज दिया |”

प्राथमिक जांच पड़ताल यीशु के अपराध, व्यक्तित्व और आप ने किये हुए दावों के विषय में न थी, वह आप के चेलों और शिक्षा देने की पद्धति के विषय में थी | उस समय समाज में कोई गुप्त संस्थायें थीं | पूछ ताछ करने वाले तेज़ी से जानना चाहते थे कि आप के अनुयायियों की ओर से अशान्ति का भय तो नहीं है ताकि वह विद्रोह को शांत कर सकें |

यीशु ने ऐसी किसी संस्था के अस्तित्व से इन्कार किया बल्कि वे जानते थे कि आप खुले रूप में दिन के समय आराधनालय में और स्वय: मन्दिर में शिक्षा देते थे जहाँ कई लोग सुनने को आते थे | अगर यह नेता आप को ईमानदारी से जानना चाहते तो वे आप के स्थानों पर गये होते और आप के वचन और आप के बुलावे को विस्तार से सुने होते | इस तरह यीशु निर्भय होकर उस बूढे महायाजक को उत्तर देते रहे | अचानक एक सेवक ने, महायाजक की दृष्टि में स्थान पाने के लिये, यीशु को तमाचा मारा | परन्तु यीशु ने उसे न मारा और न क्रोधित हुए | परन्तु आप ने इस अपराध की गंभीरता को कम न समझा बल्कि उस व्यक्ति से उस अपराध का कारण पूछा | क्योंकि यीशु निर्दोष थे इसलिये उस सेवक को पश्चताप कर के क्षमा मांगनी चाहिये थी |

यह चुनौती अप्रत्यक्ष रूप में हन्ना को दी गई थी क्योंकि सेवक के आचरण के लिए वह स्वय: उत्तरदाई था | उस ने इस अपराध की अनुमति दी थी | इस प्रकार का दोष आज भी उन लोगों पर लगाया जाता है जो दूसरों को निष्कारण तमाचा मारते हैं या अपने अनुयायियों को निर्दोष लोगों को भयभीत करने की आज्ञा देते हैं | हमारे प्रभु लोगों से प्रेम करते हैं और कहते हैं : “तुम ने जो मेरे इन छोटे से छोटे भाइयों में से एक के लिये किया वह मेरे लिये भी किया |”

जब हन्ना ने द्वेखा की यीशु पर उस की धमकियों का कोई प्रभाव न पड़ा बल्कि स्वय: न्यायधीश बन कर उस से सत्य और न्याय के विषय में प्रश्न पूछने लगे तब उस ने आप को अपने दामाद काइफा के पास भेजा जिसे यीशु ने एक दिन चालाक लोमड़ी कहा था, ताकि उसे इस समस्या से मुक्ति मिले |

यूहन्ना 18:25-27
“ 25 शमौन पतरस खड़ा हुआ आग ताप रहा था | तब उन्हों ने उस से कहा, ‘कहीं तू भी उसके चेलों में से तो नहीं है ?’ उस ने इन्कार कर के कहा, ‘मैं नहीं हूँ |’ 26 महायाजक के दासों में से एक, जो उसके कुटुम्ब में से था जिस का कान पतरस ने काट डाला था, बोला, ‘क्या मैं ने तुझे उस के साथ बारी में नहीं देखा था ? 27 पतरस फिर इन्कार कर गया, और मुर्ग ने बाँग दी |”

काइफा ने यीशु को आप के चेलों के विषय में प्रश्न पूछे | उन में से दो आँगन में खड़े थे परन्तु उन्हों ने स्वीकार न किया कि वे प्रभु के अनुयायी हैं | पतरस उस आग की रौशनी में विदेशी व्यक्ति नजर आ रहे थे और सेवकों को उन के यीशु से संबन्ध होने के विषय में शंका हो रही थी | एक बार फिर पतरस ने साधारण उत्तर दिया : “नहीं, नहीं |”

उन में से एक सेवक जिस ने उन पर शक किया, उन पर ऐसा ही दोष लगाया | इस लिये सब उन्हें घूरने लगे और वह जोश में आ गये, विशेषता जब एक सेवक ने कहा : “मैं तुझे जानता हूँ, मैं ने तुझे बाग़ में देखा था |” खतरा अपनी चरमसीमा को पहुँचा क्योंकि जिस व्यक्ति ने यह शब्द कहे वह उस सेवक का रिश्तेदार था जिस का कान पतरस ने काटा था | यूहन्ना ने उन श्राप का विस्तार से वर्णन नहीं किया जो पतरस ने उस व्यक्ति को दिये और न यह कि उन्हों ने यीशु का इन्कार किया, परन्तु उन्हों ने पतरस के डरपोक स्वभाव का सत्त्याप्न किया जो एक प्रेरित को शोभा नहीं देता जो उन के दल का नेता हो |

मुर्ग की बाँग पतरस के कानों में बिगुल की आवाज पर सजा के आदेश की घोषणा थी | यीशु को एक भी चेला ऐसा न मिला था जो मरने तक आप का अनुयायी बना रहना चाहता | वे सब या तो भाग गये, पाप किये, झूट बोले या आप का इन्कार किया | यूहन्ना ने भी हमें पतरस के आँसू बहाने या पश्चताप करने के विषय में कुछ नहीं बताया परन्तु हमारे प्रभु का इन्कार करने की विपत्ति का विस्तार से वर्णन किया | पतरस को खतरे की सूचना देने के लिये मुर्ग ने तीन बार बाँग दी | हम जब कभी झूट बोलते हैं या हमारे प्रभु को स्वीकार करने से डरते हैं तब परमेश्वर हमें भी एक मुर्गा बाँग देने के लिये देते हैं | सत्य का आत्मा हम पर उतरना चाहता है | यीशु से विनती कीजिये कि आप तुम्हें सच बोलने वाली जीभ, ईमानदार दिल और अच्छी स्मृति या शक्ति दें |

प्रार्थना: हे प्रभु यीशु, हम आप का धन्यवाद करते हैं क्योंकि आप सत्य, सहनशील और भव्य हैं | हमारे हर तरह के झूट बोलने और डींग मारने की क्षमा कीजिये | आप ने मानव जाती की जंजीरें उठायीं, हमें अपनी आत्मा से बाँध लीजिए ताकि हमारी जीभ अब और अधिक झूट न बोले | हमें अपने सत्य में जड़ ज़माने में सहायता कीजिये और आप के नाम में नम्रता, बुद्धिमानी और दृढ़ता से गवाही देना सिखाईये |

प्रश्न:

111. हन्ना के सामने पूछ ताछ के समय, यीशु और पतरस में क्या संबन्ध था ?

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