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यूहन्ना रचित सुसमाचार – ज्योती अंध्कार में चमकती है।
पवित्र शास्त्र में लिखे हुए यूहन्ना के सुसमाचार पर आधारित पाठ्यक्रम
तीसरा भाग - प्रेरितों के दल में ज्योती चमकती है (यूहन्ना 11:55 - 17:26)
द - गैतसमनी के मार्ग पर बिदाई (यूहन्ना 15:1 - 16:33)

1. मसीह में बने रहने से बहुत फल आता है (यूहन्ना 15:1-8)


यूहन्ना 15:1-2
“1 सच्ची दाखलता मैं हूँ, और मेरा पिता किसान है | 2 जो डाली मुझ में है और नहीं फलती, उसे वह काट डालता है; और जो फलती है, उसे वह छाँटता है ताकि और फले |”

प्रभु भोज के बाद यीशु अपने चेलों के साथ पवित्र पर्वत पर से नीचे उतरे और किद्रोन की घाटी के पास शहर की दीवारों के फाटकों में से निकलते हुए और फिर अंगूर के बागों में से होते हुए जैतून के पहाड़ की ओर चढ़े | जैसे जैसे वो चलते जा रहे थे यीशु ने अंगूर की बेला का उद्धारण देते हुए अपने चेलों को उनके विश्वास का अर्थ और उनके प्रेम का उद्देश समझाया |

यीशु ने परमेश्वर का माली की तौर पर वर्णन किया है, जिसने सारी दुनिया में अंगूर के बगीचे लगाये हैं | इन में से एक दाखलता पुराने नियम के लोग हैं , जैसा की हम भजन संहिता 80:1-16 और यशायाह 5:1-7 में पढ़ते हैं | परमेश्वर इस दाखलता से प्रसन्न नहीं था क्योंकी इस में अच्छा फल नहीं लगा | इस लिये परमेश्वर ने ज़मीन में एक नई दाखलता गाड़ दी | ये नई दाखलता परमेश्वर का पुत्र था जो आत्मा से उत्पन्न हुआ ताकि वो सच्ची दाखलता बने जो नई प्रकार और नई जाति बने | जो अच्छी हो और बहुतायत से आत्मिक फल पैदा करे | यीशु ने अपने चेलों का ध्यान जिस विषय की ओर आकर्शित किया वो मानव जाति में पवित्र आत्मा का फल था जो बहुमूल्य और आत्मिक गुणों से परिपूर्ण होता है | आप जानते थे कि मनुष्य की दी हुई शिक्षा धोका देने वाली होती है - मनुष्य में वन पशु रहता है जो कि ठहरा रहता है कि कोई उसे उभारे ताकि वो उसे कुचले और खा ले | यीशु ने ये बातें अपनी शिक्षा के आरंभ में कहीं कि केवल आप ऐसे फल उत्पन्न करते हैं जो परमेश्वर को स्वीकार हों, और आप ही कलीसिया में मेल करवाने वाले और उसके निर्माता हैं |

यीशु ने पहले इस प्रतीक कथा के विपरीत दृष्टिकोण दिखाया, कि जो मनुष्य प्रेम की इच्छा के लिये खुलता नहीं या आत्मिक फल नहीं लाता और दाखलता के मीठे रस को अपने अन्दर प्रवेश करने नहीं देता उसे परमेश्वर अनुपयोगी डाली समझ कर काट डालेगा | अगर परमेश्वर तुम में सुसमाचार के फल नहीं पायेगा या मसीह की मृत्यु और उसके जी उठने के प्रभाव और परिणाम को नहीं देखेगा तो वह तुम्हें अपने पुत्र की दाखलता में से काट डालेगा |

किन्तु जितनी जल्दी वो पवित्र आत्मा का रस तुम में देखेगा, वो तुम में दाख की डाली समान वृद्धि के चिन्ह स्थापन करेगा | उसमें हरे पत्ते और फल भी आयेंगे | माली उन हिस्सों को काट डालेगा जो अनुपयोगी हैं ताकि तुम ज़्यादा फल लाओ | यह फल तुम्हारा अपना नहीं है बल्कि मसीह का है जो तुम में हैं | हम लाभ रहित सेवक हैं परन्तु यीशु सब कुछ हैं | क्या तुम जानते हो कि हर पतझड के समय दाखलता को छाँटने की आवयश्कता होती है ताकि अगले साल वो बहुत फल लाये? परमेश्वर भी मनुष्य के सभी दुर्गुणों को काट देता है ताकि तुम्हारे अड़ियलपन का अन्त हो और तुम पाप के लिये मर जाओ | इस तरह तुम में पाया जाने वाला मसीह का जीवन साकार होजाये | प्रभु के पास तुम्हें अपने आप से बचाने के लिये कई मार्ग हैं | घटनायें, असफलतायें और बुराईयां तुम्हें पराजीत करने के लिये तुम पर आक्रमण करेंगी | तुम अपने लिये ना जियो परन्तु प्रभु में बने रहो | आपकी शक्ति के द्वारा तुम प्रेममय व्यक्ति बन जाओगे |

यूहन्ना 15:3-4
“3 तुम तो उस वचन के कारण जो मैं ने तुम से कहा है, शुद्ध हो | 4 तुम मुझ में बने रहो, और मैं तुम में | जैसे डाली यदि दाखलता में बनी न रहे तो अपने आप से नहीं फल सकती, वैसे ही तुम भी यदि मुझ में बने न रहो तो नहीं फल सकते |”

यीशु तुम्हें सुख देते हैं | परमेश्वर हमें हमारे स्वाभाविक भ्रष्टाचार और अनेक पापों के कारण दाखलता में से काट न डालेगा | यीशु ने शुरू ही में हम में से हर एक को पवित्रिकरण प्रदान किया और जितनी जल्दी हम ने विश्वास किया, हमें यह आशीष मिली | यह ना कहो कि, “भविष्य में हम अपने रीति रिवाजों और प्रार्थना के तरीकों से पवित्र हो जायेंगे |” आप ने हमें पवित्र कर दिया है | आप ही ने हमें हमेशा के लिये क्षमा किया है और क्रूस पर हमारा पवित्रीकरण किया है | सुसमाचार में से पवित्र होने के लिये शक्ति निकल आती है | इस लिये यह ना तो हमारा प्रयत्न है, ना ही हमारा दुख उठाना या हमारी उन्नती जो हमें पवित्र करती है, केवल परमेश्वर का वचन ही ऐसा करता है | जिस तरह शुरू में निर्माता ने वचन के द्वारा दुनिया बनाई उसी तरह अगर हम आप के वचन को स्वीकार करते हैं तो मसीह हम में पवित्रता निर्माण करेंगे | केवल बपतिस्मे का धार्मिक संस्कार या प्रभु भोज हमें पवित्र नहीं करता बल्कि मसीह के वचन पर विश्वास कर के उसका गहराई से ध्यान करने से हम पवित्र हो जाते हैं | कम से कम, विशेषकर नियमित समय पर पवित्र शास्त्र का कुछ भाग हर दिन पढ़ा करो, नहीं तो बगैर आत्मिक आहार के तुम पाप कर बैठोगे |

यीशु ने एक वचन पर ज़ोर दिया जिस पर हमारा उत्पादन और फल लाना निर्भर करता है | वो “बने रहना है |” 15 वें अध्याय में इस शब्द का दस बार प्रयोग किया गया है | इस वचन के कई अर्थ निकल सकते हैं | हम आप में बने रहते है और आप हम में; आप में बने रहने से हम पवित्र बनाये जाते हैं | आप की शक्ति और रस हम में बहता रहता है | सब कुछ आप से निकलता है, इस लिये हमें आप में बने रहना चाहिए | अगर हम आप से अलग हो जाते हैं तो आप की प्रेम भरी शक्ति हम में नष्ट हो जाती है | अगर कोई डाली टूट जाये, चाहे वो कुछ देर के लिये ही क्यों ना हो, तो वह मुरझा जायेगी | ऐसी मुरझाई हुई और मुर्दा कलीसिया की तस्वीर कितनी भद्दी होती है | विश्वासियों के लिये बहुत ही आवयश्क प्रार्थना यह होनी चाहिये कि हम आप में बने रहें ताकि उसके कारण प्रभु हम में हमारी उन्नति, फल लाने और कार्य के लिये लगातार काम करते रहें और रात दिन हमें अपने नाम में बनाये रखें | मसीह में बने रहना हमारी अपनी तरफ से नहीं होता बल्कि यह पवित्र आत्मा के अनुग्रह का परिणाम होता है | कोई भी व्यक्ति स्वय: अपने आप मसीह में बना नहीं रह सकता, परन्तु इस उपहार के लिये हम आप का धन्यवाद कर सकते हैं और आप से विनती करें कि हमारा आप में बने रहना सुरक्षित रहे और दूसरे भी आप में बने रहें |

प्रार्थना: प्रभु यीशु, हमारी धरती की मिट्टी में आप परमेश्वर की पवित्र दाखलता हैं | आप ही से हम सब अच्छे गुण प्राप्त करते हैं | हमारे दिल सब दुष्टता के स्त्रोत हैं | हम आप का धन्यवाद करते हैं कि सुसमाचार के द्वारा आप ने हमें पवित्र किया | अपने नाम में हमें बनाये रखिये ताकि आप की पवित्र आत्मा की शक्ति लगातार प्रेम के फल लाती रहे | आप के बिना हम कुछ नहीं कर सकते | हमारे भाईयों के निश्चय को शक्तिशाली बनाईये ताकि वो निर्बलता में अपने लिये ना जियें परन्तु आप में बने रहें |

प्रश्न:

94. यीशु सच्ची दाखलता कैसे बन जाते हैं?

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