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2. सहायक (पवित्र आत्मा) के द्वारा विश्वासियों के ऊपर पवित्र त्रिय का उतरना (यूहन्ना 14:12-25)
यूहन्ना 14:15
“15 यदि तुम मुझ से प्रेम रखते हो, तो मेरी आज्ञाओं को मानोगे |”
सुसमाचार का प्रचार, केल्व्हरी के पहाड का धन्यवाद करता है | जो मनुष्य सुसमाचार का प्रचार नहीं करता वह मसीह के द्वारा मिलने वाली स्वतंत्रता को नहीं जानता | अगर तुम को ऐसा लगता है कि प्रार्थना और गवाही का कोई लाभ नहीं होता तो अपने आप को जांचो कि तुम मसीह के प्रेम में बने हुए हो या तुम्हारे पाप इस आशीष में बाधा डाल रहें हैं | यीशु के सामने अपनी इस कमी को स्वीकार कर लो ताकि आशीष का झरना दूसरों की ओर बहने से ना रोका जाये | प्रभु ने हमें बहुत सी आज्ञायें दी हैं जैसे अपने शत्रुओं से प्रेम करो,जागते रहो और प्रार्थना करो ताकि परिक्षा में ना पडो | जैसे तुम्हारा स्वर्गीय पिता परिपूर्ण है, तुम भी वैसे ही बनो | ऐ थके और बोझ से दबे लोगो मेरे पास आओ, मैं तुम्हें आराम दुंगा | इन आज्ञाओं का संक्षिप्त वर्णन इस सुन्हेरे वचन में पाया जाता है , “एक दूसरे से प्रेम करो जैसा मैं ने तुम से प्रेम किया है |” आप की आज्ञायें भारी बोझ नहीं हैं परन्तु जीने के लिये सहायक, विश्वास और प्रेम को जोड़ने वाला पुल हैं |
जिस किसी ने यीशु के हमारे उद्धार के लिये चुकाई हुई कीमत का अनुभव किया है वह कभी अपने लिये नहीं जियेगा परन्तु उद्धारकर्ता यीशु की सेवा करेगा |
यूहन्ना 14:16-17
“16 मैं पिता से विनती करूँगा, और वह तुम्हें एक और सहायक देगा कि वह सर्वदा तुम्हारे साथ रहे | 17 अर्थात सत्य का आत्मा, जिसे संसार ग्रहण नहीं कर सकता, क्योंकि वह न उसे देखता है और न उसे जानता है, तुम उसे जानते हो, क्योंकि वह तुम्हारे साथ रहता है, और वह तुम में होगा |”
जो कोई अपनी इच्छा के अनुसार, यीशु की आज्ञाओं के अनुसार जीने की कोशिष करता है वो असमर्थ रहेगा | इसी कारण यीशु ने परमेश्वर से सहायक यानी पवित्र आत्मा भेजने की विनती की | यहाँ उस के कई काम हैं | वह सत्य का आत्मा है जो हमें पापों की गंभीरता बताता है | तब वह हमें क्रूस पर चढ़ाये हुए मसीह का चित्र दिखाता है और विश्वास दिलाता है कि यह दिव्य पुत्र है जो हमारे पाप क्षमा करता है | वह अनुग्रह के द्वारा परमेश्वर के सामने हमें धार्मिक ठहराता है | यह वरदान में दिया हुआ आत्मा हमें दूसरा जन्म देता है | वह हमारे मुँह परमेश्वर को पिता कहने के लिये खोल देता है | तब हमें विश्वास हो जाता है कि हम इस वर्दान में दिये हुए आत्मा के द्वारा निश्चय ही परमेश्वर की सन्तान हैं | आखिर में वो हमारा वकील बन कर हमारी रक्षा करता है | जब शैतान हमें बहकाने की कोशिश करता है तब पवित्र आत्मा हमारे पास खड़े होकर हमें साहस पूर्वक रखता है और विश्वास दिलाता है कि उद्धार का काम पूरा हुआ | हम इस सहायक के बिना, जिसे यीशु ने हमारे लिये भेजा है, अपनी परीक्षाओं में आत्मविश्वास और इस दुनिया में संतोष नहीं पा सकते |
कोई व्यक्ति स्वभाव से आत्मा नहीं पाता, ना ही कोई बुद्धिमान व्यक्ति या कवी या दार्शनिक पुरुष उसे पा सकता है | यह आत्मा अतिप्राकृतिक है और उन पर उतरती है जो मसीह के खून पर विश्वास रखते हैं | जो यीशु से प्रेम नहीं करते या आप को स्वीकार नहीं करते उनमें यह आत्मा नहीं रहता | परन्तु जो मनुष्य मसीह से प्रेम करता है और आप के उद्धार को स्वीकार करता है वो अपने आचरण में खुशी का अनुभव करता है | अपने दिल में पवित्र आत्मा के होने से निर्बलता में भी हम परमेश्वर की शक्ति का अनुभव करते हैं | यीशु हमें विश्वास दिलाते हैं कि यह सहायक हमें मृत्यु के समय या न्याय के दिन भी नहीं छोडेगा क्योंकि वो अनन्त जीवन है |
यूहन्ना 14:18-20
“18 मैं तुम्हें अनाथ नहीं छोडूंगा; मैं तुम्हारे पास आता हूँ | 19 और थोड़ी देर रह गई है फिर संसार मुझे न देखेगा, परंतु तुम मुझे देखोगे; इस लिये कि मैं जीवित हूँ, तुम भी जीवित रहोगे | 20 उस दिन तुम जानोगे कि मैं अपने पिता में हूँ, और तुम मुझ में, और मैं तुम में |”
जब पकड़वाने वाला विश्वासघाती बाहर चला गया तब यीशु ने चेलों को बताया कि बहुत जल्दी वो उन को छोड़ कर चले जायेंगे और वो आप के पीछे नहीं आ पायेंगे | परन्तु यह भी कहा कि आप स्वय: वापस उनके पास लौट कर आयेंगे | आप उनके भय को जानते थे | ऐसा कहने के दो अर्थ थे, पहला, पवित्र आत्मा का आना क्योंकि प्रभु स्वय: यह आत्मा हैं , दूसरा, अंतिम दिन महिमा के साथ आपका वापस आना | आप का उन को छोड़ कर अपने पिता के पास जाने के ये दो आव्यशक कारण थे | इस बिदाई के बिना पवित्र आत्मा हमारे पास नहीं आता |
यह वह आत्मा है जो तुरन्त आँखों और दिलों को खोल देता है | हम यह जानते हैं कि और लोगों की तरह यीशु ने कबर में आराम नहीं किया, परन्तु आप जीवित हैं और पिता के पास उपस्थित हैं| आप का जीवन सृष्ठी और हमारे उद्धार की नीव है | क्योंकि आपने मृत्यु को पराजीत किया इस लिये आप हमें जीवन देते हैं ताकि हम भी विश्वास के द्वारा मृत्यु पर विजय पायें और मसीह की धार्मिकता में जियें | हमारा धर्म ऐसे जीवन का है जो आशा से परिपूर्ण है |
सुखदाई असली आत्मा परमेश्वर की आत्मा है जो आकर हम में रहता है और हमें विश्वास दिलाता है कि पुत्र पिता में है और पिता पुत्र में पूर्णत: एकत्र है | पवित्र त्रिय का यह आत्मिक ज्ञान गणित शास्त्र की तरह नहीं होता बल्कि वह विश्वासी में देहधारी होता है ताकि हम भी यीशु की तरह परमेश्वर से मिल कर एक हो जाएँ | आत्मा के विषय में यह रहस्य मनुष्य होने के कारण हमारी समझ से बाहर हैं |
यीशु यह नहीं कहते कि आप अलग से तुम्हारे अन्दर रहना चाहते हैं बल्कि यह कहते हैं कि, “मैं तुम्हारे अन्दर साथ रहता हूँ |” कोई मसीही स्वय: आत्मा का मंदिर नहीं होता, वह इस दिव्य महल (कमरे) में जुड़े हुए पत्थर की तरह होता है | सभी विश्वासी इस आत्मिक निवास में एक संग होते हैं | यह प्रतिज्ञा बहुवचन में दी गई है : “तुम मेरे अन्दर हो और मैं तुम में |” यीशु अपने आप को सन्तों की संगति में प्रगट करते हैं | क्या तुमने देखा कि प्रभु ने इस प्रतिज्ञा का अन्त एक आज्ञा के साथ किया है, “एक दुसरे से प्रेम करो जैसा मैं ने तुम से प्रेम किया है |” केवल मैं अकेला ही यीशु से लिपटा हुआ नहीं हूँ बल्कि हम सब परमेश्वर की पूर्णता में भरे हुए होंगे |
प्रार्थना: ऐ परमेश्वर के पवित्र मेमने, हम आपके सामने अपने सिर झुकाते हैं | आप की मृत्यु के द्वारा हम ने अनन्त जीवन पाया है | हमारे कम विश्वास और अज्ञानता को क्षमा कीजिये ताकि हमारे और आपके बीच कोई रूकावट ना खड़ी हो | हम अपनी सब परीक्षाओं में आप को देख पायें और उस वैभवशाली जानकारी के साथ जीते रहें | हम आप का धन्यवाद करते हैं कि हमारा सहायक आ चुका है जो सत्य का आत्मा है और हमें सदा एक साथ रखेगा |
प्रश्न: