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4. मसीह, पतरस के इनकार की भविष्यवाणी करते हैं (यूहन्ना 13:36-38)
यूहन्ना 13:36-38
“36 शमौन पतरस ने उस से कहा, ‘हे प्रभु, तू कहाँ जाता है ?’ यीशु ने उत्तर दिया, ‘जहाँ मैं जाता हूँ वहाँ तू अभी मेरे पीछे आ नहीं सकता; परन्तु इसके बाद मेरे पीछे आएगा | 37 पतरस ने उस से कहा, ‘हे प्रभु, अभी मैं तेरे पीछे क्यों नहीं आ सकता? मैं तो तेरे लिये अपना प्राण भी दे दूँगा |’ 38 यीशु ने उत्तर दिया, ‘क्या तू मेरे लिये अपना प्राण देगा ? मैं तुझ से सच सच कहता हूँ कि मुर्ग बाँग न देगा जब तक तू तीन बार मेरा इन्कार न कर लेगा |”
पतरस अपने दिल में चिन्तित था और यीशु ने प्रेम के बारे में जो कुछ कहा उसे ठीक से न सुना | वह केवल यह जानता था कि उनका प्रभु स्वय: अत्याचार और विश्वासघात में फंस कर उन्हें छोड़ कर जा रहा था | उसने अपने आप पर, अपनी सच्चाई और निश्चय पर विश्वास किया | उस ने यीशु को वचन दिया कि वो किसी भी कीमत पर आप का अनुयायी बना रहेगा | उसे अपनी निर्बलता और क्षमता का अहसास नहीं था | उसे अपने अहंकार पर पूरा विश्वास था कि जो कुछ उसने कहा उसे पूरा करेगा | वह यीशु के लिये उत्साह में जल रहा था और आप के लिये लड़ने और मरने के लिये तैयार था |
म - ऊपर के कमरे में बिदाई का प्रवचन (यूहन्ना 14:1-31)
1. परमेश्वर मसीह में है | (यूहन्ना 14:1-11)
“यूहन्ना 14:1-3
“ 1 तुम्हारा मन व्याकुल न हो; परमेश्वर पर विश्वास रखो और मुझ पर भी विश्वास रखो | 2 मेरे पिता के घर में बहुत से रहने के स्थान हैं, यदि न होते तो मैं तुम से कह देता; क्योंकि मैं तुम्हारे लिये जगह तैयार करने जाता हूँ | 3 और यदि मैं जा कर तुम्हारे लिये जगह तैयार करूं, तो फिर आकर तुम्हें अपने यहाँ ले जाऊँगा कि जहाँ मैं रहूँ वहाँ तुम भी रहो |”
चेले यह सुमाचार सुन कर परेशान थे कि यीशु उन्हें छोड़ कर ऐसी जगह जा रहे हैं जहाँ वो नहीं जा सकते | यीशु ने पतरस के मुकरने की भविष्यवाणी भी की थी जब पतरस इस बात पर ज़ोर दे रहा था कि वह आप का अनुयायी बना रहेगा और अपने पक्के विश्वास पर घमंड़ कर रहा था | कई चेलों के दिल में यह विचार भी आया कि यीशु के अनुयायी बन कर उन्हों ने गल्ती की क्योंकि अब वो उन्हें जल्दी छोड़ कर चले जायेंगे या शायद मर भी जाएँ | यीशु ने उनकी उदासी और निराशा का उत्तर एक ठोस आज्ञा से दिया, “परमेश्वर पर पूरा विश्वास रखो | वह हर समय एक ठोस नीव की तरह होता है | जब हर वस्तु थरथराती है, तब वह स्थिर रहता है | जब हम चिन्तित होते हैं तब वो हमें डांटता है | डर का अर्थ अविश्वास होता है | तुम्हारा आस्मानी पिता न तुम्हें धोका देता है और ना छोड़ता है | तुम्हारा विश्वास ऐसी जीत है जो संसार को पराजित करती है |
यीशु अपने अनुयायियों से पिता के लिये विश्वास और प्रार्थना के साथ इतने ही विश्वास का आग्रह कर रहे थे जिस के वे पात्र है | आप पिता के साथ एक हैं | जिस तरह पिता हमारे भविष्य की गारंटी देता है उसी तरह पुत्र भी विश्वास दिलाता है | इस संसार में पिता पुत्र में उपस्थित था | पिता का प्रेम हमारे विश्वास का पात्र है | उसकी सच्चाई ठोस चट्टान है |
आपने अपने चेलों को कुछ ऐसी बातें बताईं जो आप की मृत्यु और आस्मान पर उठाये जाने के बाद होने वाली थीं | परमेश्वर के पास ऐसा बड़ा और सुंदर महल है जैसा किसी के पास शहर या ग्रामक्षेत्र में भी ना होगा | आस्मान पर स्थित परमेश्वर का महल एक बड़े शहर की तरह है जो इतना चौड़ा है कि उसमें हर जगह के सभी सन्त हमेशा रह सकते हैं | अगर अभी तुम किसी तम्बू या झोपडी में रहते हो तो दुखी मत हो | तुम्हारे पिता के महल में बहुत कमरे और बड़े मकान हैं | उसने तुम्हारे लिये साफ सुथरा, गर्म और भरपूर प्रकाश वाला घर तैयार किया है | तुम को यह आज्ञा दी जाती है कि तुम अपने पिता के पास सदा रहो |
परमेश्वर स्वय: यीशु पर विश्वास करने वालों से प्रेम करता है और उनके लिये मकान तैयार करके रखा है | जब यीशु वापस आस्मान पर गये तब आप ने उन मकानों का निरक्षण किया और उसमें और तैयारी की | आप ने यह भी निश्चय किया है कि वापस हमारे पास आयेंगे | आप हम से दूर रहना नहीं चाहते | आप इस लिये वापस आ रहे हैं ताकि अपने अनुयायियों को अपने पास बुला लें | आप उनसे ऐसा प्रेम रखते हैं जैसे दूल्हा अपनी दुल्हन से रखता है | इसलिये आप अपनी दुल्हन यानी कलीसिया को अपने पिता के सामने प्रस्तुत करना चाहते हैं | पिता से केवल परिचय करने के लिये नहीं, परन्तु स्वर्गीय घराने में आप के जैसे बनने के लिये | हम हमेशा आप के साथ रहेंगे, आप के शरण में सुरक्षित और आप की सज्जनता में प्रसन्न रहेंगे |
यूहन्ना 14:4-6
“4 ‘जहाँ मैं जाता हूँ तुम वहाँ का मार्ग जानते हो |’ 5 थोमा ने उससे कहा, ‘हे प्रभु,, हम नहीं जानते कि तू कहाँ जा रहा है; तो मार्ग कैसे जानें ? 6 यीशु ने उस से कहा, ‘मार्ग और सत्य और जीवन मैं ही हूँ; बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुँच सकता |”
यीशु ने अपने चेलों से कहा, “तुम जानते हो कि मैं कहाँ जा रहा हूँ और तुम परमेश्वर तक पहुँचने की राह भी जानते हो |” थोमा ने पूछा, “हम वह रास्ता कैसे जानेंगे क्योंकि हम नहीं जानते कि निकट भविष्य में आप कहाँ जाने वाले हो ?” अपने दुखी होने के कारण वो आगे के गंतव्य को देख ना सका | वह डर से काँपने लगा था और उसका मन दिशा भूल गया था |
यीशु ने उसे नम्रता से प्रोत्साहित किया, “परमेश्वर की ओर जाने वाला मार्ग मैं हूँ | मेरा प्रेम और सत्य सही व्यवस्था है जो आस्मान की ओर ले जाती है | मैं मानव जाति के लिये मानक हूँ जिस के द्वारा परमेश्वर तुम्हारा न्याय करेगा | अपने आप को अज्ञानता के मानविय नाप से ना मांपो/नापो | उसी रास्ते पर चलो जो परमेश्वर की ओर ले जाता है | मेरे पास आओ और अपनी तुलना मुझ से करो | तुम जान जाओगे कि तुम भ्रष्ट पापी के सिवा और कुछ नहीं हो |”
मसीह तुम्हें भय से भय की ओर और निराशा से निराशा की ओर नहीं धकेलते | जब तुम अपने जीवन में बिलकुल उदास हो जाते हो तब वे तुम्हें बचाने के लिये अपने हाथ बढ़ा कर कहते हैं. “अब मैं तुम्हें नया सत्य दे रहा हूँ | पुराना सत्य तुम्हारे पीछे रह गया है | मैं ने तुम्हारे लिये अपनी जान दी और अनुग्रह के द्वारा नया नियम लाया हूँ | तुम्हारे पाप क्षमा किये गये, तुम्हारे विश्वास ने तुम्हारा उद्धार किया है | मेरे वचन पर स्थिर रहो ताकि दत्तक पुत्र के तथ्य में कायम रहो |
तुम शायद यह कहोगे, “मैं यह सब सुन चुका हूँ, परन्तु मुझ में विश्वास, शक्ति, प्रार्थना और पवित्रता की कमी है |” यीशु उत्तर देते हैं, “मैं तुम्हें अनन्त जीवन देता हूँ, मैं जीवन का स्त्रोत हूँ | विश्वास से मुझ में बने रहो और तुम पवित्र आत्मा पाओगे | इस आत्मा से तुम भरपूर जीवन पाओगे |” जो कोई मसीह पर विश्वास रखता है वह हमेशा जीवित रहता है | आप से दूर मत जाओ, आप तुम्हारा जीवन हैं | या तो तुम अपने पापों में मरते रहो या मसीह में जीवित रहो | और कोई मध्यमार्ग नहीं है | मसीह विश्वासी का जीवन हैं |
वो सब जो मसीह में बंधे हुए हैं, परमेश्वर के सामने खड़े होंगे और आप को दया से भरे हुए पिता के रूप में देखेंगे | कोई भी धर्म, दर्शन शास्त्र, व्यवस्था या विज्ञान तुम्हे परमेश्वर के पास नहीं ला सकता | केवल परमेश्वर के पुत्र मसीह यह कर सकते हैं | आप में पिता तुम्हारे सामने होता है | यीशु परमेश्वर का परिपूर्ण अनावरण हैं | आप के बगैर कोई पिता को जान ही नहीं सकता |
यूहन्ना 14:7
“ 7 यदि तुम ने मुझे जाना होता, तो मेरे पिता को भी जानते; और अब उसे जानते हो, और उसे देखा भी है|”
इस दुनिया की संतान उनके पापों के कारण परमेश्वर से बहुत दूर है | कोई मनुष्य केवल अपने प्रयत्न से परमेश्वर को नहीं जान सकता | किसी ने परमेश्वर को नहीं देखा, केवल उसके एक मात्र पुत्र ने जो पिता की गोद में है | आप हमें बताते हैं : “अगर तुम मुझे जानते तो मेरे पिता को भी जान लेते | परन्तु वे यह नहीं जानते | ज्ञान का अर्थ केवल समझना और विज्ञान ही नहीं परन्तु परिवर्तन और नवीकरण होता है | परमेश्वर का ज्ञान हम में अवतरित होता है और हमारे जीवन में प्रगट होता है | धोका ना खाओ, धार्मिक अभ्यास का अर्थ परमेश्वर को जानना नहीं होता | कौन सी ज्योति सुसमाचार को स्पष्ट करती है | अगर कोई वस्तु परमेश्वर का ज्ञान देती है तो वह उस ज्योति का आज्ञापालन करना है जो सुसमाचार को उज्वलित करती है | तुम बदल जाओगे और ज्योति बन जाओगे |
अपने विश्वासघात की घड़ी में यीशु ने आश्चर्यजनक रूप में अपने चेलों से यह बात कही : “अब तुम मुझे जानते हो | मैं केवल सर्वशक्तिमान विजेता नहीं हूँ जो बुद्धिमान और वैभवशाली होता है बल्कि परमेश्वर का मेमना हूँ जो दुनिया के पाप भी उठा ले जाता है | मेरी प्रायश्चित की मृत्यु में दूसरों के पाप क्षमा करने के लिये स्वय: अपने बलिदान के कारण परमेश्वर अपने आप को एक मेल मिलाप करने वाले पिता के रूप में प्रगट करता है | क्योंकि वो तुम्हारे पापों की सज़ा अपने क्रोध में न देगा, ना नाश करेगा बल्कि मुझे यानी अपने पुत्र को सज़ा देगा ताकि तुम मुक्त हो जाओ और पवित्र बनो और परमेश्वर की संतान बन कर उसकी संगती में प्रवेश करो |
क्रूस पर परमेश्वर अपने आप को पिता की तरह प्रगट करता है | सम्मानीय परमेश्वर हम से दूर नहीं है परन्तु वह प्रेम, दया और पाप से मुक्ती देने वाला है | परमेश्वर तुम्हारा अपना पिता है | “तुम ने मुझ पर विश्वास किया है और केवल तुम ही पिता के विषय में सत्य को जानते हो | यह ज्ञान तुम में परिवर्तन लाएगा ताकि तुम तुम्हारे व्यावहारिक ज्ञान में अपने आचरण और सद्गुणों में सम्मानीय ठहरो |”
यूहन्ना 14:8-9
“8 फिलिप्पुस ने उस से कहा, ‘हे प्रभु, पिता को हमें दिखा दे, यही हमारे लिये बहुत है | 9 यीशु ने उस से कहा, ‘हे फिलिप्पुस, मैं इतने दिन से तुम्हारे साथ हूँ, और क्या तू मुझे नहीं जानता ? जिस ने मुझे देखा है उस ने पिता को देखा है | तू क्यों कहता है कि पिता को हमें दिखा ?”
जब यीशु ने कहा, “तुम ने पिता को देखा है और उसे जानते हो,” तब फिलिप्पुस आश्चर्यचकित हुआ और कहने वाला ही था, “जी नहीं,हम ने उसे नहीं देखा;” परन्तु अपने प्रभु कि भव्यता को देख कर मुश्किल में पड़ गया और उसके बदले यह कहा, “प्रभु हमें पिता को दिखा | हमारे लिये यही काफी है |” उस के उत्तर से पता चलता है कि फिलिप्पुस, यीशु के रहस्य और शक्ति को समझ गया था | यह गुप्त भेद आपके और आपके पिता की एकता पर निर्भर होता है | अगर आप को उन्हें (चेलों को ) छोडना था तो उन्हें पिता को दिखाना काफी था, चाहे वह थोड़ी देर के लिये क्यों ना होता ताकि वो भी आप की तरह सेवा की आज्ञा पाते और सर्वशक्तिमान की शक्ति में सुरक्षित रहते | तब वो उसको जानते और परमेश्वर के स्थान को देखते और लोगों पर अधिकार रखने, चंगा करने और दुष्ट आत्माओं को निकलने के लिये शक्ति पाते |
परन्तु उस निवेदन से फिलिप्पुस ने स्वीकार किया कि अभी भी वह पिता और पुत्र को नहीं जानता | वह दिव्यता और सत्य को पहचानने में असमर्थ रहा | यीशु ने उसे ड़ाँटा नहीं परन्तु उस पर दया की और अपनी अंतिम शाम को बड़े सत्य की घोषणा की, “जिस ने मुझे देखा है, उस ने पिता को देखा है |” इस ध्यान आकर्षित करने वाले वचन के साथ यीशु ने वह पर्दा फाड दिया जो इन चेलों के और आप के बीच में था | यीशु मसीह की व्यक्ति के सिवा कोई दृश्य या स्वप्न परमेश्वर के सत्य को बता नहीं सकता | आप केवल एक महत्वपूर्ण व्यक्ति नहीं थे बल्कि हमने आप में स्वय: परमेश्वर को देखा | अगर तुम यीशु को देखो और पहचानो तो तुम आज भी परमेश्वर का दृश्य देख सकते हो | थोमा ने भी ये शब्द सुने थे परन्तु उनका अर्थ समझ ना सका | परन्तु यीशु के जी उठने के पश्चात् अपने स्वामी के सामने उस का दिल टूट गया और वह यह कह कर रो पड़ा, “मेरे प्रभु और मेरे परमेश्वर |”
यूहन्ना 14:10-11
“ 10 क्या तू विश्वास नहीं करता कि मैं पिता में हूँ और पिता मुझ में है ? ये बातें जो मैं तुम से कहता हूँ, अपनी ओर से नहीं कहता, परन्तु पिता मुझ में राह कर अपने काम करता है | 11 मेरा विश्वास करो कि मैं पिता में हूँ और पिता मुझ में है; नहीं तो कामों ही के कारण मेरा विश्वास करो |”
एक चेले के लिये संभव है कि वह सुसमाचार को रट ले और यीशु के धुंधले प्रतिबिंब को देखे, परन्तु अगर पवित्र आत्मा से उसका दिल ना बदला हो तो वह यीशु के मूल तथ्य को ना जान पायेगा | यीशु ने फिलिप्पुस से एक प्रश्न पूछ कर अपनी दिव्यता के बारे में उसके गहरे विश्वास को उभारा, “क्या तू विश्वास करता है कि मैं पिता में हूँ | मेरे जीवन का उद्देश पिता की महिमा करना है | मैं पिता में हूँ और पिता मुझ में शारीरिक रूप में है | मुझ में दिव्यता की परिपूर्णता उपस्थित है | मैं ने पवित्र आत्मा से जन्म लिया और बिना पाप किये तुम्हारे बीच में रहा | मैं पिता को अनन्त काल से जानता हूँ | यह ज्ञान मुझ में देहधारी हुआ और मुझ में वह पिता समान महानता और दया प्रगट करता है |”
“मेरे अधिकारपूर्ण वचन और दिव्य काम इस गवाही के सबूत हैं | अगर तुम्हें पिता के मुझ में होने पर विश्वास करना असंभव लगता है तो मेरे वचन सुनो जिसके द्वारा पिता मुझ में होकर बोलता है | ये वचन तुम्हें जीवन, शक्ति और साहस देंगे | अगर तुम मेरे वचन को नहीं समझते तो मेरे कामों को देखो, परमेश्वर स्वय: तुम्हारे बीच में आस्मानी चिन्ह दिखाता है | तुम जो खोये हुए हो उन्हें वह मेरे द्वारा बचाता है | अब तुम मेरे क्रूस पर चढ़ाये जाने पर परमेश्वर का सब से बड़ा काम देखोगे, जिस के द्वारा मेरी मृत्यु के कारण परमेश्वर मानव जाति का स्वय: अपने से मिलाप कर लेगा | अपनी आँखें खोलो और अपने कान बन्द ना करो | तुम क्रूस पर चढ़ाये हुए में परमेश्वर को पहचानोगे | यही सत्य परमेश्वर है जो तुम्हें दंड ना देगा परन्तु तुम्हारा उद्धार करेगा |
प्रार्थना: प्रभु यीशु मसीह, मैं अनुग्रह से आप को “मेरे प्रभु और मेरे परमेश्वर” कहता हूँ ! मेरे अविश्वास और प्रेम की कमी के लिये मुझे क्षमा कीजिये | आप की पवित्र आत्मा के लिये मेरी अन्दरूणी आँखें खोल दीजिये ताकि मैं आप मे पिता को देख सकूँ | और उस के प्रेम के द्वारा स्वय: अपने में परिवर्तन ला सकूँ ताकि आप के ज्ञान द्वारा मृत्यु के बदले जीवन मिले | अपनी महिमा का मुलतथ्य अविश्वासियों पर प्रगट कीजिये ताकि विश्वास के द्वारा वो नया जीवन पायें |
प्रश्न: