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अ) सब्बत के दिन स्वस्थ करना (यूहन्ना 9:1-12)
यूहन्ना 9:1-5
“1 जाते हुए उसने एक मनुष्य को देखा जो जन्म से अंधा था | 2 उसके चेलों ने उससे पूछा, ‘ हे रब्बी, किसने पाप किया था कि यह अंधा जन्मा, इस मनुष्य ने या इसके माता पिता ने?’ 3 यीशु ने उत्तर दिया, ‘ न तो इसने पाप किया था, न इसके माता पिता ने; परन्तु यह इसलिये हुआ कि परमेश्वर के काम इसमें प्रगट हों | 4 जिसने मुझे भेजा है, हमें उसके काम दिन ही दिन में करना अवश्य है , वह रात आने वाली है जिसमें कोई काम नहीं कर सकता | 5 जब तक मैं जगत में हूँ, तब तक जगत की ज्योति हूँ |’”
यीशु अपने शत्रुओं से जो आप पर पत्थर फेंकने वाले थे, जल्दबाज़ी में बच कर भाग नहीं गए बल्की
स चिन्ताजनक घड़ी में आप की नज़र एक मुसीबत के मारे भाई पर पड़ी | आप क्षमा करने वाले प्रेम हैं और विश्वासयोग्य व आशीषों से परिपूर्ण हैं |आप के चेलों ने भी उस अंधे व्यक्ती को देखा था परन्तु उन्हें कोई खास चिन्ता नहीं हुई | वो उस पाप के बारे में सोचने लगे जिसके कारण उस पर यह आपत्ती आई थी, जैसा की पुराने ज़माने में लोग हमेशा यह सोचते थे कि बीमारियाँ किसी ना किसी पाप के कारण सज़ा के रूप में परमेश्वर की तरफ से आती हैं | यीशु ने उसकी अपाहिजी का ना तो कोई कारण बताया ना ही उस नौजवान या उसके माता पिता को निर्दोष ठहराया परन्तु आप को उस व्यक्ती की दुर्दशा में परमेश्वर को काम करने का अवसर दिखाई दिया | आपने अपने चेलों को उस अंधे व्यक्ती को ना तो परखने दिया, ना ही उसके अंधेपन के कारण पूछने का अवसर दिया | आपने उनसे आगे बढ़ने का आग्रह किया और उन्हें परमेश्वर की इच्छा का उद्देश बताया जो उद्धार और स्वास्थ प्रदान करना है |
यीशु ने कहा, “मुझे आश्चर्यकर्म दिखाना चाहिये |” प्रेम ने उन्हें प्रोत्साहित किया | आप न्याय या नाश करना नहीं चाहते थे परन्तु करुणा से स्वस्थ करना चाहते थे | इस तरह आप अपना उद्धारदायक प्रेम, विचार और उद्देश दिखाना चाहते थे | आप दुनिया के उद्धारकर्ता हैं जो लोगों के लिये दिव्य जीवन लाना चाहते थे |
मसीह के यह शब्द हमारे कानों में गूंजते हैं, “मैं ना अपने नाम से ना ही अपनी शक्ती के द्वारा काम करता हूँ, बल्की मैं अपने पिता के काम स्वयं उसके नाम से और उसकी सहमती से पूरे करता हूँ |” आप अपने कामों को परमेश्वर के काम बताते थे |
यीशु जानते थे कि समय कम था और मृत्यु नज़दीक थी | फिर भी आप ने उस अंधे व्यक्ती को स्वास्थ प्रदान करने के लिये समय निकला | आप दुनिया की ज्योती हैं इस लिये आप उस व्यक्ती के जीवन को ज्योती से उज्वलित करना चाहते थे | ऐसा समय आने वाला है जब ना आप और ना कोई संत कुछ कर सकेगा | जब तक दिन है और सुसमाचार के प्रचार करने के मौके हैं, हमें यीशु की गवाही देनी चाहिये | अन्धकार बढ़ता जा रहा है और हमारी दुनिया को मसीह के दोबारह आने के सिवा और कोई आशा नहीं है | आप का रास्ता कौन तैयार करेगा?
यूहन्ना 9:6-7
“6 यह कहकर उसने भूमि पर थूका और उस थूक से मिट्टी सानी, और वह मिट्टी उस अंधे की आँखों पर लगा कर 7 उससे कहा, ‘जा, शिलोह के कुण्ड में धो ले’ (शिलोह का अर्थ ‘भेजा हुआ’ है) | उसने जाकर धोया और देखता हुआ लौट आया |”
यीशु ने इस से पहले अपने सभी आश्चर्यकर्म केवल अपने वचन के द्वारा करके दिखाए, परन्तु अबकी बार आपने जमीन पर थूका और उस थूक से मिट्टी सानी और उसे उस अंधे व्यक्ती की आँखों पर लगा दिया | यीशु चाहते थे कि उस अंधे व्यक्ती को इस बात का अनुभव हो कि मसीह के शरीर से उसे कोई चीज़ दी गई है | यीशु को उस अंधे व्यक्ती पर तरस आया और आपने उसके साथ अच्छे तरीके से व्यवहार किया ताकी वो स्वस्थ हो जाये | आश्चर्य इस बात का है कि उस व्यक्ती की आँखें तुरन्त नहीं खुलीं | बल्की उसे कुछ दूर चल कर घाटी के नीचे शिलोह के कुण्ड में जाकर अपनी आँखें धोनी पड़ीं | शिलोह का मतलब “भेजा हुआ” होता है जो इस बात का चिन्ह है कि यह चंगाई आप के अपने लोगों की तरफ भेजे जाने का चिन्ह है | आप की जाती के लोग स्वयं पाप और उल्लंघन मे अंधे जन्मे थे जिन्हें उस चंगाई और उद्धार की आवयश्कता थी जो यीशु प्रदान करते हैं |
अंधे व्यक्ती ने यीशु के वायदे को स्वीकार किया | उसे आप के प्रेम पर विश्वास था | उसने तुरन्त आपकी आज्ञा मानी | वो आपकी आज्ञा के बारे में सोचता हुआ आहिस्ता आहिस्ता चल दिया और फिर भी आगे बढ़ता रहा और वहाँ पहुंच कर अपनी आँखें धो लीं और देखने लगा | तुरन्त उसे लोग, पानी, प्रकाश, स्वयं उसके अपने हाथ और आस्मान दिखाई दिया | उसे यह सब चीजें देख कर आश्चर्य हुआ | उसके गले से ज़ोर से हालेलुजा और परमेश्वर की दया के लिये प्रशंसा के शब्द निकल पड़े |
यूहन्ना 9:8-12
“8 तब पड़ोसी और जिन्होंने पहले उसे भीख मांगते देखा था, कहने लगे, ‘क्या यह वही नहीं,जो बैठा भीख माँगा करता था ?’ 9 कुछ लोगों ने कहा, ‘यह वही है,’ दूसरों ने कहा, ‘नहीं परन्तु उसके समान है |’उसने कहा ‘मैं वही हूँ |’ 10 तब वे उससे पूछने लगे, ‘तेरी आँखें कैसे खुल गईं ?’ 11 उसने उत्तर दिया, ;यीशु नामक एक व्यक्ती ने मिट्टी सानी, और मेरी आँखों पर लगाकर मुझ से कहा, शीलोह में जाकर धो ले,’ अत: मैं गया और धोया और देखने लगा |’ 12 उन्होंने उससे पूछा, ‘वह कहाँ है ?’ उसने कहा, ‘मैं नहीं जानता |”
यह आश्चर्यकर्म छिपा ना रह सका क्योंकी उस चंगे व्यक्ती के पड़ोसियों ने उसे देखा और आश्चर्यचकित हो गए | कई लोगों ने विश्वास नहीं किया कि यह सीधा चलने वाला वही व्यक्ती है जो किसी समय लड़खड़ाता और चलने में हिचकिचाता था और जिसे कोई ना कोई राहगीर चलने में मदद करता था | इस चंगे व्यक्ती ने स्वयं अपना परिचय देते हुए गवाही दी कि वो वही व्यक्ती है जिसे वो जानते थे |
लोगों ने उसके चंगे होने का विवरण विस्तार से पूछा परन्तु चंगा करने वाले के विषय में ना पूछा | वो केवल यह जानना चाहते थे कि वो चंगा कैसे हुआ | स्वस्थ हुए अंधे व्यक्ती ने उस चंगा करने वाले का नाम यीशु बताया परन्तु वो इसके सिवाय आप के विषय में और कुछ नहीं जानता था | वो मसीह की दिव्यता से भी अनजान था परन्तु इतना ज़रूर जानता था कि आप एक मनुष्य थे, जिन्होंने मिट्टी सान कर उस की आँखों पर मल दी और फिर उसे जाकर आँखें धोने के लिये कहा और वो तुरन्त देखने लगा |
इस पर अदालत के जासूसों ने पूछा, “ये यीशु कहाँ है ?” उस नौजवान ने उत्तर दिया, “मैं नहीं जानता, किसी समय मैं अंधा था परन्तु अब देख सकता हूँ | उसने ना मुझ से पैसे मांगे और ना ही धन्यवाद देने को कहा | मैं नीचे झरने पर गया और अब देख सकता हूँ | मैं नहीं जानता कि वो कौन है और ना ही यह कि वो कहाँ का है ?”
प्रार्थना: ऐ प्रभु यीशु, हम आप का धन्यवाद करते हैं कि आप ने उस नौजवान की उपेक्षा ना करते हुए उस की आँखें खोल कर उसे उन लोगों के लिये चिन्ह बना दिया जिन्हों ने पाप में जन्म लिया है | अपनी पवित्र आत्मा से हमारी आँखें पोछ दीजिये ताकी हम आपकी ज्योती देख सकें और प्रसन्न हो कर आपका नाम लेते रहें |
प्रश्न: