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Home -- Hindi -- John - 032 (Healing of the court official's son)

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यूहन्ना रचित सुसमाचार – ज्योती अंध्कार में चमकती है।
पवित्र शास्त्र में लिखे हुए यूहन्ना के सुसमाचार पर आधारित पाठ्यक्रम
पहला भाग – दिव्य ज्योति चमकती है (यूहन्ना 1:1 - 4:54)
क - मसीह का पहली बार यरूशलेम को चले आना (यूहन्ना 2:13 – 4:54 ) - सही उपासना क्या है?

5 – एक अफसर के पुत्र का स्वस्थ होना (यूहन्ना 4:43–54)


यूहन्ना 4:43 –46
“43 फिर उन दो दिनों के बाद वह वहाँ से निकल कर गलील को गया , 44 क्योंकी यीशु ने आप ही साक्षी दी कि भविष्यवक्ता अपने देश में आदर नहीं पाता | 45 जब वह गलील में आया, तो गलीली आनन्द के साथ उससे मिले; क्योंकि जितने काम उसने यरूशलेम में पर्व के समय किये थे, उन्होंने उन सब को देखा था, क्योंकि वे भी पर्व में गए थे |”

यीशु और आप के चेलों ने सामरिया में अनन्त जीवन की शक्ती और बड़ी प्रसन्न्ता के साथ सुसमाचार का प्रचार किया | अभी और राष्ट्रों तक सुसमाचार के प्रचार को पहुचाने का समय नहीं आया था | आपको सब से पहले स्वंय अपने राष्ट्र में दुष्ट आत्माओं को पराजीत करना था | नाज़रत के निवासियों के द्वारा अपमान और हिंसा का खतरा होने पर भी आप सीधे गलील पहुंचे | आपके मित्रों और रिश्तेदारों ने अब तक आप की दिव्यता पर विश्वास नहीं किया था क्योंकी आप एक साधारण घराने से थे परन्तु उनकी नज़र धन और कीर्ती पर रहती थी और वो यीशु की गरीबी का तिरस्कार करते थे | इस अविश्वास के करण आप उनके बीच कोई आश्चर्यकर्म नहीं दिखा सके |

एक चिकित्सक के तौर पर मसीह की कीर्ती दूर दूर तक फैली हुई थी | यरूशलेम में आपके दिखाए हुए आश्चर्यकर्मों की खबर आपके गलील पहुंचने से पहले ही वहां पहुंच चुकी थी | फसह के पर्व पर गलील के बहुत से लोग यरूशलेम आये थे और उन्हों ने वहां सब सुना और देखा था जो यीशु ने वहां किया या कहा था क्योंकी आप बड़े अधिकार के साथ अपना वचन सुनाते थे | जब आप गलील के देहातों में पहुंचे तो लोगों ने बड़ी प्रसन्न्ता से आप का स्वागत किया और वह आशा रखते थे कि आप उन के बीच में भी आश्चर्यकर्म दिखायेंगे ताकी उन्हें भी कुछ लाभ हो | यीशु काना में दुल्हे के घर वापस गये जहां आपका उद्देश शादी की खुशी बढ़ाना था | आप उन लोगों में अपनी सेवा पूरी करना चाहते थे जो काना में आप का पहला आश्चर्यकर्म देखने के बाद आपका आदर करने लगे थे |

यूहन्ना 4: 46 ब – 54
“ 46 ब तब वह फिर गलील के काना में आया , जहाँ उसने पानी को दाखरस बनाया था | वहाँ राजा का एक कर्मचारी था जिसका पुत्र कफरनहूम में बीमार था | 46 वह यह सुनकर कि यीशु यहूदिया से गलील में आ गया है, उसके पास गया और उससे विनती करने लगा कि चलकर मेरे पुत्र को चंगा कर दे ; क्योंकि वह मरने पर था | 48 यीशु ने उससे कहा, “जब तक तुम चिन्ह और अद्भूत काम न देखोगे तब तक कदापि विश्वास न करोगे |” 49 राजा के कर्मचारी ने उससे कहा, “ हे प्रभु, मेरे बालक कि मृत्यु होने से पहले चल |” 50 यीशु ने उससे कहा, “ जा, तेरा पुत्र जीवित है |” उस मनुष्य ने यीशु की कही हुई बात की प्रतीति की और चला गया | 51 वह मार्ग में ही था कि उसके दास उससे आ मिले और कहने लगे, “तेरा लड़का जीवित है |” 52 उसने उनसे पूछा, “किस घड़ी वह अच्छा होने लगा?” उन्होंने उससे कहा, “कल सातवें घंटे में उसका ज्वर उतर गया |” 53 तब पिता जान गया कि यह उसी घड़ी हुआ जिस घड़ी यीशु ने उससे कहा, “तेरा पुत्र जीवित है,” और उसने और उसके सारे घराने ने विश्वास किया | 54 यह दूसरा आश्चर्यकर्म था जो यीशु ने यहूदिया से गलील में आकार दिखाया |”

राज दरबार का एक महत्वपूर्ण अफसर यीशु के पास आया जिस ने आप के और आपके अधिकार के विषय में बहुत कुछ सुना था | उस गांव के लोगों को जब उस अफसर के आने की खबर मिली तो कहा: “वो चिकित्सक के पास आ रहा है ताकी वो आप का राजा से परिचय कराये |” इस अफसर का पुत्र कफरनहूम में झील के किनारे बीमार पड़ा था | उसके पिता ने बहुत से वैधों से उपचार करवाया और काफी पैसा भी खर्च किया परन्तु उसका पुत्र स्वस्थ ना हुआ | अन्त में वो यीशु के पास आया परन्तु उसे भरोसा ना था कि आप उसकी सहायता करेंगे भी या नहीं | वो चाहता था कि यीशु काना से निकल कर उसके साथ कफरनहूम चलें क्योंकी उसे भरोसा था कि आप की वहां उपस्थिती से ही उसका पुत्र स्वस्थ हो जायेगा |

यीशु ने इस अफसर का स्वागत करते समय उसे कोई महत्त्व ना दिया | आप को दुख हुआ क्योंकी इस अफसर में विश्वास की कमी थी | जब तक कोई मनुष्य यीशु की अनुपम व्यक्ती पर विश्वास नहीं करता वो उसके लिये कुछ नहीं कर सकते | कई लोग केवल दुनियावी वस्तुओं के लिये प्रार्थना करते हैं और विश्वास भी करते हैं परन्तु साथ साथ सन्देह भी करते हैं | प्रभु पर निष्ठा से विश्वास लाने वाला व्यक्ती सहायता मिलने से पहले ही आप के वचन पर बिना शर्त विश्वास करता है | यह अफसर यीशु की डाँट से अप्रसन्न नहीं हुआ बल्की बड़ी विनम्रता से आप को “प्रभु” कहा | ऐसा कह कर उसने यूनानी भाषा के अनुसार अपने आप को मसीह का सेवक बना दिया | अपने पुत्र के लिये उसका प्रेम और यीशु के अधीन उसके सम्मान ने उसे फिर एक बार मज़बूर किया कि वह यीशु को कफरनहूम आने को कहे ताकी उसके पुत्र की जान बच जाये |

यीशु ने यह देखते हुए कि वह अफसर आपकी प्रभुता पर विश्वास करना चाहता है , कहा, “जा, तेरा पुत्र जीवित है |” यीशु ने इस अफसर के साथ कफरनहूम जाने से मना किया परन्तु पिता के प्रेम को परखते हुए उसके विश्वास को स्थिर किया | क्या इस पिता को भरोसा था कि उन के और बीमार बच्चे के बीच में इतना अन्तर होने पर भी यीशु उस बच्चे को स्वस्थ कर सकते हैं ?

इस वार्तालाप से उस अफसर को यीशु के चरित्र और प्रेम का पता चला | उसे विश्वास हुआ कि यीशु ना तो झूठ बोलेंगे और ना ही उसका मज़ाक उड़ायेंगे | अब उसे विश्वास हो गया, जब की उसने पुत्र का स्वस्थ स्वंय अपनी आँखों से ना देखा था | यीशु की आज्ञा का पालन करते हुये वो कफरनहूम लौट गया | उसकी आज्ञाकारी वापसी से यीशु का सम्मान और बच्चे के स्वस्थ होने कि पुष्टि हुई | यदि यीशु मेरे मरते हुए पुत्र को स्वस्थ कर सकते हैं तब तो आप सबसे महान हैं | स्वास्थ पर आपके अधिकार और दिव्य अस्तित्व को सिद्ध करता है | इस तरह वापस होना उस अफसर का विश्वास बढ़ाने में अनुशासनात्मक ठहरा |

यीशु ने ही उस अफसर के सेवकों को प्रेरणा दी कि वो जल्दी से आकर अपने मालिक को उसके पुत्र के पूरी तरह से स्वस्थ होने की खबर दें | इस से उस की सारी चिंता दूर हो गई और उसने परमेश्वर की स्तुती की | वह यह जानना चाहता था कि उसके पुत्र का ज्वर कब उतरा, इस लिये उसे बताया गया की दोपहर से कुछ ही समय बाद ऐसा हुआ | यही वह समय था जब यीशु ने स्वस्थ होने की आज्ञा और वचन दिया था |

इस अफसर ने धन्यवाद करते हुए अपने घर वालों के सामने गवाही दी कि मसीह के प्रेम में शक्त्ती है | यह दूसरा आश्चर्यकर्म है जिसे प्रचारक यूहन्ना ने लिखा | मसीह की प्रतिष्ठा महल तक पहुंच गई | लोग आने वाली घटना को देखने के लिये उत्सुक थे | मसीह पर विश्वास करना ही असली आराधना है जिसे परमेश्वर स्वीकार करता है और इस की वो निशानियों और महान कामों से पुष्टि करता है |

प्रार्थना:ऐ प्रभु यीशु, हम आपके आने के लिये धन्यवाद करते हैं | आप ने कफरनहूम के नज़दीक एक मरते हुए बच्चे को स्वस्थ किया जब की आप खुद उससे काफी दूर थे | आपने उसके पिता को आप में विश्वास करने की समझ दी | हमें भी आपके प्रेम और शक्ती में विश्वास करना सिखाइये | हम पाप में मरे हुए लोगों के उद्धार के लिये प्रार्थना करते हैं और विश्वास करते हैं की आप हमारी प्रार्थना का उत्तर देंगे |

प्रश्न:

36. अपने विश्वास की उन्नती के लिये उस अफसर को किस किस अवस्था को पार करना पड़ा ?

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