Home -- Hindi -- John - 026 (The Baptist testifies to Jesus)
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3. दूल्हे यीशु के बारे में बपतिस्मा देने वाले यूहन्ना की गवाही (यूहन्ना 3:22–36)
यूहन्ना 3: 22 – 30
“ इस के बाद यीशु और उसके चेले यहूदिया देश में आये, और वह वहां उन के साथ रहकर बपतिस्मा देने लगा | 23 और यूहन्ना भी शालेम के निकट ऐनोन में बपतिस्मा देता था | क्योकि वहां बहुत जल था और लोग आकर बपतिस्मा लेते थे | 24 क्योंकि यूहन्ना उस समय तक जेलखाने में नहीं डाला गया था | 25 वहां यूहन्ना के चेलों का किसी यहूदी के साथ शुद्धि के विषय में वाद-विवाद हुआ, 26 और उन्हों ने यूहन्ना के पास आकर उस से कहा, हे रब्बी, जो व्यक्ति यरदन के पार तेरे साथ था, और जिस की तू ने गवाही दी है देख, वह बपतिस्मा देता है, और सब उसके पास आते हैं | 27 यूहन्ना ने उत्तर दिया, जब तक मनुष्य को स्वर्ग से न दिया जाए तब तक वह कुछ नहीं पा सकता | 28 तुम तो आप ही मेरे गवाह हो, कि मैं ने कहा, मैं मसीह नहीं, परन्तु उसके आगे भेजा गया हूँ | 29 जिस की दुल्हन है, वही दुल्हा है: परन्तु दुल्हे का मित्र जो खड़ा हुआ उस की सुनता है, दूल्हे के शब्द से बहुत हर्षित होता है; अब मेरा यह हर्ष पूरा हुआ है | 30 अवश्य है कि वह बढ़े और मैं घटूं |”
फसह के बाद यीशु यरूशलेम से चले गये और बपतिस्मा देने लगे | आपके चेले जानते थे कि नये सिरे से जन्म लेने के लिये टूटे हुए दिल की आवश्यकता है और पापों का पश्चताप किये बगैर उद्धार प्राप्त नहीं होता | पापों की क्षमा के लिये बपतिस्मा लेना टूटे हुए दिल का प्रतीक होता है | जिसके द्वारा पश्चतापी परमेश्वर के साथ नये करार में प्रवेश करने की इच्छा प्राप्त करता है |
बपतिस्मा देने वाले यूहन्ना ने अपनी सेवा की जगह बदल कर यर्दन की घाटी के उत्तरी सिरे पर ऐनोन की तरफ चले गये | लोग उनके पास आकर अपना दिल खोल कर रख देते थे | इस प्रकार वो उनको बपतिस्मा देते थे ताकी वो यीशु से मिलने के लिये तैयार हों |
मसीह फसह के बाद सीधे गलील को वापस नहीं गये परन्तु किसी और जगह पर पश्चताप करने वाले लोगों को बपतिस्मा देने लगे | आपके महान अधिकार के कारण, यूहन्ना से ज़्यादा लोग आप के पास आने लगे | इस कारण दोनों पक्षों के बीच बहस शुरू हो गई | विवाद यह था कि दोनों नेताओं में से पापों से शुद्ध होने के लिये कौन बेहतर है | दोनों में से कौन परमेश्वर के ज़्यादा नज़दीक है? यहां एक अतिआव्यश्क प्रश्न था क्योंकी वो अपने जीवन का संपूर्ण शुद्धिकरण करना चाहते थे | भाई, क्या तुमने सोचा है कि अपने चरित्र का संपूर्ण शुद्धिकरण करने के लिये कौन सा मार्ग अपनायेंगे? क्या तुम अपने संपूर्ण शुद्धिकरण के लिये प्रयत्नशील हो या फिर तुम हमेशा अपने पापों को घसीटते रहोगे |
बपतिस्मा देने वाले ने इस विशाल प्रलोभन का विरोध किया | उन्होंने मसीह की सफलता पर ईर्षा नहीं की क्योंकी उन्हें अपनी स्वंय की सेवा की सीमा का अहसास था | उन्होंने नम्रता से स्वीकार किया कि “केवल मनुष्य स्वंय इतने अच्छे काम नहीं कर सकता जब तक उसे परमेश्वर की तरफ से शक्ती, आशीर्वाद और फल का वरदान ना मिले |” उल्टा हम स्वंय अपने ऊपर अपने आत्मिक ज्ञान, प्रार्थनाओं और उत्तम भाषणों पर घमंड करते हैं | अगर तुम को आत्मिक उपहार मिलता है तो वह परमेश्वर की तरफ से है | अगर तुम वो सब करो जो परमेश्वर चाहता है फिर भी तुम गुलाम और अयोग्य मनुष्य रहोगे | बपतिस्मा देने वाले यूहन्ना हमेशा नम्र बने रहे और कभी ज़रुरत से ज़्यादा अपनी योग्यता का दावा नहीं किया परन्तु सिर्फ परमेश्वर की महीमा की |
एक बार फिर यूहन्ना ने अपने चेलों के सामने गवाही दी कि वो मसीह नहीं हैं | हो सकता है वो आशा रखते होंगे की मसीह येरूशलेम में विजेता की तरह प्रवेश करेंगे परन्तु ऐसा नहीं हुआ | मसीह केवल बपतिस्मा देते रहे | इस लिये वो उलझन में पड़ गये, फिर भी आज्ञाकारी बने रहे | वो सिर्फ मसीह के अग्रदूत बन कर उनका रास्ता तैयार करते रहे |
यूहन्ना उस प्रकाशित वचन के ईमानदार रहे जो उन्हें प्रदान किया गया था | उन्होंने गवाही दी कि यीशु दूल्हा हैं और हर पश्चतापी को जो पानी के बपतिस्मे से शुद्ध हो जाता है, अपनी दुल्हन समझते हैं | आज पवित्र आत्मा आत्मिक एकता उत्पन्न करती है | इस लिये प्रेरित पौलुस कह सकते हैं कि :”हम मसीह की देह के अंग हैं और वह हमारा सिर है, हम उसके साथ एक हैं |” अब मसीह जो दूल्हा हैं, हमारे न्यायाधीश नहीं बल्की उद्धार कर्ता हैं | शादी का यह आनन्दित चित्र हमें मसीह में आशा दिलाता है |
यूहन्ना दूर खड़े थे और कलीसिया की उन्नती को देख कर प्रसन्न थे | परन्तु वो स्वंय अपनी मंडली के साथ खड़े होने के बदले यीशु के पास थे | उन्होंने स्वीकार किया कि वो मसीह के विश्वासयोग्य मित्र हैं | जहां वे जंगल में अकेले थे वहां यीशु ने सीधे राजधानी में पहुंच कर आश्चर्य कर्म किये और अपने भाषणों का प्रचार किया | यूहन्ना ने परमेश्वर के राज्य की प्रगति देखी और प्रसन्न हुए | दुल्हे की आवाज़ और विशिष्टता ने उन्हें प्रसन्न कर दिया | मसीह की सफलता का समाचार उनके लिये स्वर्गीय संगीत जैसा था | इस तरह मसीह की कोमलता ने बलवान यूहन्ना को आखरी दिनों की सेवा में नम्र बना दिया | वे साथी के तौर पर शादी के उत्सव में खुश हुए |
यूहन्ना मरने के लिये तैयार थे परन्तु अपने चेलों की संख्या बढ़ाने के लिये उत्सुक नहीं थे | उन्हों ने अपनी विशेषता घटाकर नष्ट होना उचित समझा ताकी विश्वासियों की संख्या बढ़ती जाये |
सुनने वालो, तुम्हारी सभाओं का नेतृत्व कौन करता है ? क्या प्रत्येक व्यक्ति नेतृत्व के लिये दूसरों से आगे रहना चाहता है या तुम दूसरों को मौका देते हो और स्वंय अल्पतम बन जाते हो ताकी मसीह तुम में शक्तिशाली बन जायें ? तुम भी यूहन्ना के साथ हो कर कहो : “वो बढे और मैं घटुं |
प्रश्न: