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Previous Lesson -- Next Lesson रोमियो – प्रभु हमारी धार्मिकता है|
पवित्र शास्त्र में लिखित रोमियों के नाम पौलुस प्रेरित की पत्री पर आधारित पाठ्यक्रम
भाग 2 - परमेश्वर की धार्मिकता याकूब की संतानों उनके अपने लोगों की कठोरता के बावजूद निश्चल है। (रोमियो 9:1 - 11:36)
4. परमेश्वर की धार्मिकता केवल विश्वास के द्वारा प्राप्त होती है, ना कि नियमों का पालन करने के द्वारा (रोमियो 9:30 - 10:21)
अ) यहूदियों ने परमेश्वर की धार्मिकता जो विश्वास के द्वारा प्राप्त होती है को अनदेखा किया, और वे नियमों के कार्यों के साथ ही लगे रहे (रोमियो 9:30 - 10:3)रोमियो 9:30 - 10:3 उपदेशक पौलुस ने अप्रत्यक्ष रूप से रोम की कलीसिया के सदस्यों को उनके अन्तिम निर्णय से मोड देने का प्रयास किया था, कि वे इस बात को पहचान पाये कि परमेश्वर की धार्मिकता केवल मसीह में उनके विश्वास द्वारा प्राप्त होती है जबकि धार्मिकता मिली थी उन् कार्यों पर जो धार्मिक प्राध्यापकों को उनके विनाश की ओर ले जाती थी| आपका प्रश्न निर्णायक था| उपदेशक पौलुस प्रथम कलीसिया की परिषद के सामने यह स्वीकार कर चुके थे और विशेष रूप से उनके सामने जिन्होंने नियमों के अनुसार धार्मिकता को पकड़ा हुआ था, कि उनमे से कोई भी ऐसा नहीं है जिसने परमेश्वर की आयतों को माना और उस के अनुसार कुछ किया, और उनमे से कोई भी उसके कार्यों के द्वारा बचाया नहीं जायेगा, परन्तु परमेश्वर के अनुग्रह द्वारा जोकि मसीह में उपस्थित है (प्रेरित के कामों का वर्णन 15:6-11)| वह जो मसीह के अनुग्रह का अपमान करता है, उस मनुष्य के समान है जो अंधियारे में चलता है, जो अचानक से उसके पथ पर एक बड़े पत्थर से ठोकर खाता है, नीचे गिरता है और नाश होता है (यशायाह 8:14; 28:16) हालाँकि आपने परमेश्वर से यहूदियों की संधि कराई थी, मसीह उनमे से बहुतों के न्याय का कारण बने थे क्योंकि उन् लोगों ने उनके अनोखे अनुग्रह को स्वीकार नहीं किया था| यद्यपि, वह लोग जो अपने रक्षक को पहचान सके थे और उन् पर विश्वास करते थे बचाए गये| पौलुस ने स्वीकार किया था कि बहुत से यहूदी नियमों को मानने के लिए तत्पर थे, और आयतों का पालन करने के लिए प्रत्येक प्रयास करते थे| आप उनसे उनकी तत्परता के कारण प्रेम करते थे और आशा करते थे कि वे उनके जीवन में मिले सुअवसर को पकड़ लेंगे, और जो महान उपहार उनको दिया गया था उसे स्वीकार कर लेंगे| इसीलिए पौलुस ने परमेश्वर से प्रार्थना की और सच्चे मन से निवेदन किया कि उनमे से अधिकांशों का उद्धार के लिए मार्गदर्शन किया जाये जो पहले से ही उनके तैयार था| यद्यपि, पौलुस ने रोमन राज्य के बहुत से आर्थिक केन्द्रों में यह अनुभव किया था कि यहूदी उनके कानून को पकडे हुए थे और दूसरे लोगों को कचरे के समान समझते थे| वे मसीह में परमेश्वर की नई धार्मिकता को पहचान नहीं सके थे, परंतु प्रार्थना, उपवास, बलिदानों, सहयोंग और तीर्थयात्रा करने का प्रयास करते थे, कि 613 आयतों का पालन अपने आप को नासमझ सिद्ध करने के लिए कर पाये और इसके बाद परमेश्वर की सच्ची धार्मिकता को अस्वीकार करते थे| क्या ही कपटभरा विचार है यह! क्या ही पीड़ादायक स्थिति उन्होंने स्वयं के लिए लाई थी| प्रार्थना: ओ स्वर्गीय पिता, हम आपकी स्तुति करते है क्योकि हम अस्वच्छ अन्यजातियों के विश्वासी है, परन्तु आपके भरपूर अनुग्रह द्वारा हम एक के बाद एक आशीष प्राप्त कर चुके है, और आपने हमें अपनी धार्मिकता एक विशाल उपहार के रूप में प्रदान की है| इसीलिए, हम आपसे प्रार्थना करते है कि अन्य धर्मों के मानने वालों को यही आशीषे प्रदान करे, जो सोचते हैं कि उनके व्यक्तिगत कार्यों द्वारा वे न्यायोचित ठहराये गये हैं| कृपया उनके गर्व को तोड़ दें, और उनकी मदद कीजिए कि वे आप पर विश्वास करें और आपके परम प्रिय संतानों के रूप में आप पर भरोसा करें| प्रश्न: 63. क्यों अलग अलग प्रकार के लाखों विश्वसियों को परमेश्वर की धार्मिकता प्राप्त हुई और वह इसमें स्थापित हो गये थे?
64. क्यों अन्य धर्मों के धार्मिक लोगों ने, परमेश्वर की धार्मिकता प्राप्त करने के लिए अपने नियमों का पालन करने का प्रयास किया?
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