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Previous Lesson -- Next Lesson यूहन्ना रचित सुसमाचार – ज्योती अंध्कार में चमकती है।
पवित्र शास्त्र में लिखे हुए यूहन्ना के सुसमाचार पर आधारित पाठ्यक्रम
चौथा भाग - ज्योति अन्धकार पर विजय पाती है (यूहन्ना 18:1 - 21:25)
ब - मसीह का पुनरुत्थान और दर्शन देना (यूहन्ना 20:1 - 21:25)
2. यीशु ऊपर के कमरे में चेलों पर प्रगट होते हैं (यूहन्ना 20:19-23)यूहन्ना 20:21 जब यीशु ने, “तुम्हें शान्ति मिले,” यह शुभकामना दुहराई, तब आप के मन में पापों के पश्चताप और परमेश्वर से मेल मिलाप के विषय में विचार थे परन्तु आप अपने चेलों को मेल करने वाले बनाना चाहते थे ताकि वे घ्रणित मानव जाती को पूर्ण उद्धार प्रदान करें | क्रूस पर परमेश्वर ने सब लोगों के पाप क्षमा कर दिये थे | यह नई वास्तविकता अपराधियों की क्षमा का विश्वास दिलाती है और विश्वासियों को दंड से मुक्ति और नाश होने से स्वतंत्र होने की आशा दिलाती है | यीशु ने अपने अनुयायियों को दुनिया में भेजा ताकि वे अपराधियों को परमेश्वर की शान्ति की शिक्षा दें | उन सब लोगों के दिलों में परिवर्तन आ जाता है जो परमेश्वर के अनुग्रह के कारण उद्धार पा चुके हैं और वे अपने शत्रुओं को क्षमा करेंगे जैसे परमेश्वर ने उन्हें क्षमा किया | वह स्वय: अन्यायपूर्ण काम करने की बजाय, अन्याय का सहन करने लगे | इस तरह से वह स्वर्ग की सुगन्ध अपने पास-पड़ोस में फैलायेगे जैसे कि यीशु ने कहा, “धन्य हैं वे, जो मेल करने वाले हैं, क्योंकि वे परमेश्वर के पुत्र कहलाएँगे |” सुसमाचार के प्रचार में हमारा उद्देश परिस्थितियों को बदल देना या राष्ट्रों में ऊपरी मिलाप करवाना नहीं बल्कि हम प्रार्थना करते हैं कि लोगों के मन बदल जायें और पत्थर दिल नरम हो जायें | ऐसे बदलाव से राजनीतिक परिवर्तन हो जायेगा | यीशु ने अपने चेलों की सेवा का स्तर अपने स्तर तक उठाया | “जैसे पिता ने मुझे भेजा है, वैसे मैं तुम्हें भेजता हूँ |” अत: पिता ने अपने पुत्र को कैसे भेजा ? पहले : पुत्र के समान, दूसरे, वचन, काम और प्रार्थना के द्वारे परमेश्वर के पिता होने और उस की पवित्रता का एलान करने | तीसरे, यीशु के पास परमेश्वर का वचन था जो अनन्त प्रेम से लबरेज था | इन सिद्धांतों से हम सुसमाचार के प्रचार का अर्थ और उद्देश पाते हैं | अपनी मृत्यु से यीशु ने हमें परमेश्वर की सन्तान बना दिया है ताकि हम आप के सामने प्रेम में पवित्र और निर्दोष जीवन बितायें | मसीही, मसीह के राजदूत हैं, जो धार्मिक ठहराये गये हैं और उन्हें अभिषिक्त किया गया है ताकि वे अपने स्वर्गिय पिता के तत्व और प्रेम का प्रतिनिधित्व करें | यह उन के संदेश का तत्व है कि पिता ने, मसीह की मृत्यु के द्वारा उन्हें अपनी सन्तान बना लिया है | कृस उन के नये स्थान की शर्त है और विश्वास दत्तक लेने का मार्ग है | जिस तरह यीशु ने अपने प्राण बलिदान देने के लिये जन्म लिया इसी तरह आप के अनुयायी अपना जीवन बलिदान के स्वरूप जीते हैं | वे डींग नहीं मारते बल्कि अपने आप को सर्व शक्तिमान परमेश्वर और सब लोगों के सेवक समझते हैं | उन के प्रभु ने उन्हें उनके अदना स्तर से मुक्त किया है ताकि वे आप की तरह प्रेम करें | प्रार्थना: प्रभु यीशु, हम आप का धन्यवाद करते हैं क्योंकि आप ने हम अयोग्य लोगों को बुलाया ताकि हम अपने विचारों, वचनों और कामों से पिता और आप के नाम की महिमा करें | हमारे पाप क्षमा करने के लिये हम आप का धन्यवाद करते हैं | आप की शान्ति का प्रचार दूसरे दिलों में करने के लिये आप ने हमें अभिषिक्त किया ताकि वे प्रबुद्ध हों और असली जीवन जीयें | ऐ मसीह, हम आप के आभारी हैं क्योंकि आप ने हमें आप के प्रेम के पुत्र बनाया ताकि हम लोगों से प्रेम करें और उन्हें क्षमा करें जैसे आप ने दया से किया | प्रश्न: 125. चेलों को भेजने में अनोखी बात क्या है ?
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