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Previous Lesson -- Next Lesson यूहन्ना रचित सुसमाचार – ज्योती अंध्कार में चमकती है। दूसरा भाग – दिव्य ज्योती चमकती है (यूहन्ना 5:1–11:54)
अ - बैतहसदा में एक अपाहिज का चंगा होना (यूहन्ना 5:1– 16)
1. बेतहसदा में एक अपाहिज का चंगा होना | (यूहन्ना 5:1-16)यूहन्ना 5:10-13 कुछ उग्रवादी धर्म शास्त्रियों के सिवा, बैतहसदा के ओसारे में उपस्थित सब लोग प्रसन्न थे | ये उग्रवादी क्रोधित ईर्षालु थे, क्योंकी यह चंगाई सब्त के दिन हुई थी | यीशु ने उस अपाहिज को सिर्फ चंगा ही नहीं किया बल्की आज्ञा भी दी कि वह अपना बिस्तर उठा कर शहर की गलियों में से होता हुआ चला जाये | यह कार्य उन यहुदियों के लिये परमेश्वर के विरुद्ध पाप और सब्त के आदेश के विरुध था क्योंकी वह विश्राम का दिन था जिसमें कोई काम नहीं किया जाता था | इस आदेश को ना मानने वाले को मृत्यु दंड की आज्ञा दी गई थी | (गिनती 15: 32.36) इन यहुदियों ने इस व्यक्ती को जो अपना बिस्तर उठा कर चला था, इस समय पथराव नहीं किया क्योंकी मृत्यु दंड सुनाने से पहले एक चेतावनी देना ज़रुरी था | इनके विरोध का मतलब केवल उसे धमकी देना था | जो व्यक्ती चंगा हुआ था उसने अपने बचाव में उन्हें यीशु की आज्ञा बताई और कहा की बिस्तर उठा कर चला जाना पूरी तरह से चंगा होने के लिये एक शर्त थी | धर्म शाश्त्री क्रोधित हुए, उन्हें इस व्यक्ती के चंगा होने में कोई रूचि ना थी | उन्होंने प्रेम के उस अधिकार को भी ना देखा जो यीशु ने उसके उपचार करने में दिखाया था | वे चंगा करने वाले व्यक्ती के विषय में इर्षा और घ्रणा से बहस करने लगे कि उसने सब्त के दिन इस अपाहिज को अपना बिस्तर उठाने की आज्ञा देने का साहस किया | इस लिये उनके विचार से यीशु ने व्यवस्था का नियम तोड़ा और उन्हें मृत्यु दंड मिलना चाहिये था | चंगा होने वाला व्यक्ती चंगा करने वाले को नहीं जानता था क्योंकी यीशु अपरिचित व्यक्ती थे | आप पहली बार बैतहसदा आये थे | चंगा करने के बाद आप वहां दिखाई ना दिये |यीशु यह नहीं चाहते थे कि लोग आश्चर्यकर्मों के आधार पर उन पर विश्वास करें, उनकी इच्छा थी कि लोग उनके प्रेम भरे व्यक्तित्व पर विश्वास करें | यूहन्ना 5: 14 – 16 यीशु ने उस चंगे हुए व्यक्ती को ढूंडा ताकी आप उसे पापों से मुक्ती देकर उसका इलाज पूरा करें | आप ने उसे मन्दिर में परमेश्वर की प्रशन्सा करते हुए पाया | जब उसने यीशु को देखा तो डर गया परन्तु फिर भी प्रसन्न था | हम जानते हैं कि यीशु ने उससे क्या कहा: “तुम चंगे हो गये हो |जो चमत्कार तुम्हारे साथ हुआ है उसकी महानता को समझ लो क्योंकी तुम अड़तीस साल से बीमार थे | यह चमत्कार परमेश्वर की तरफ से हुआ, यह किसी व्यक्ती का काम ना था | अवतारित परमेश्वर ने स्वयं तुम्हारे दिल की आँखें खोल दी हैं |” “तुम तुम्हारे पापों को जानते हो | परमेश्वर के बगैर जीने के कारण तुम इस दुर्दशा में थे | मैं ने तुम्हें चंगा किया जिसके कारण तुम्हारे पाप भी क्षमा हुए |” यीशु ने उसे आज्ञाकारी होने और फिर से पाप ना करने को कहा ताकी उसका अंतरात्मा भी चंगा हो जाये | क्षमा पाने के लिये दोबारह वही पाप ना करने का निर्णय करना पड़ता है | जो कोई मसीह के शक्तीशाली वचन को स्वीकार करता है और नम्रता से पश्चताप करता है, दिव्य शक्ती प्राप्त करता है और परमेश्वर की सहायता से दुष्टता को पराजित कर सकता है | मसीह हम से किसी असंभव कर्तव्य की आशा नहीं रखते परन्तु आप हमें पवित्र आत्मा देते हैं ताकी उसकी शक्ती से हम शारीरिक प्रलोभन और दुष्ट कामों को पराजित कर सकें | सच्चाई की आत्मा हमें दुष्ट कामों से संघर्ष करने और उनसे बचने में सहायता करता है | कभी कभी बीमारियां और क्षति परमेश्वर के प्रेम और चिता के कारण डांट के तौर पर आते हैं ताकी वह हमें अपने पास वापस ले आये | दूसरे मौकों पर धन और विलास परमेश्वर की और कठोरता के कारण दिव्य दंड बन जाते हैं | मनुष्य शैतान बन कर हमेशा के लिये हानी उठाता है | पाप से प्रेम ना रखो क्योंकी तुम बुराई के दास बन गये हो उसे स्वीकार करो और मसीह से मुक्ती की विनती करो | मसीह और अपने पापों के बीच निष्पक्षता ना बरतो | अपने पापपूर्ण स्वभाव को छोड़ दो | अपने मुक्तिदाता से प्रतिज्ञा करके समझौता कर लो | वह तुम्हारा हर संभव उद्धार करेंगे | यह कैसी आश्चर्यपूर्ण बात है कि यीशु से आज्ञा पाने के बाद चंगा होने वाला व्यक्ती दौड़ते हुए यहुदियों के पास गया और उनसे कहा, यीशु नासरी ने उसे चंगा किया और सब्त के नियम के विषय में दिशाहीन किया | उन धर्मशास्त्रियों ने आशा की होगी कि यह व्यक्ती जासूसी करके यीशु का पता लगायेगा ताकी आपकी गिरिफ्तारी आसान हो सके | जब यीशु ने मन्दिर की सफाई की तब याजकों ने जो घ्रणा दिखाई थी उस से अधिक भीषण क्रोध फरीसियों ने इस चंगाई के बाद दिखाया | यीशु ने उनकी “धार्मिकता” को निष्कासित कर के दिखाया कि धार्मिकता स्वार्थी उद्देश के लिये नियम का पालन करने पर निर्भर नहीं करती | परमेश्वर दया और प्रेम चाहता है | जो पवित्रता प्रेम के बिना होती है वह खोटी होती है | परमेश्वर हम में धार्मिक संस्कार नहीं बल्की दया देखता है | परमेश्वर का धन्य हो जिसने हमें व्यवस्था के हज़ारों नियमों से मुक्त कर दिया है और केवल एक ही आज्ञा दी की हम प्रेम करें | प्रश्न: 38. यहूदी यीशु को क्यों सताने लगे ?
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